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बिहार कृषि विवि,सबौर


सबौर के कृषि वैज्ञानिकों ने बिहार को आर्सेनिक मुक्त करने का लक्ष्य साधा

@news5pm

February 8th, 2019

निशु जी लोचन /

बिहार में 2017 से 2022 तक का कृषि रोड मैप बना है। अच्छी खेती हो, पैदावार अच्छी हो, जैविक खेती को बढ़ावा मिले, सारी बातों का ख्याल भी रखा गया है। लेकिन बिहार कृषि विवि,सबौर के कृषि वैज्ञानिकों ने एक नया खुलासा किया है, जो काफी डरावना है और आम इंसान के लिए जानलेवा है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सरकार ने पेयजल के लिए आर्सेनिकमुक्त जल की व्यवस्था की है। लेकिन जो अनाज किसान उगाते हैं उसमें जो आर्सेनिक की मात्रा बढ़ती जा रही है वह बिहार के तत्काल 18 ज़िलों की आबादी को कैंसर जैसे रोगों के चपेट में ले रही है।

संप्रति हुए दीक्षांत समारोह सबौर कृषि वि वि में.

आंकड़े पर गौर करें तो 2002 में बिहार का भोजपुर जिला आर्सेनिक प्रभावित था। लेकिन 2009 आते आते 16 ज़िले प्रभावित हो गए। वर्तमान में 18 ज़िलों की रिपोर्टिंग कृषि वैज्ञानिकों के पास है। ग्राउंड वाटर सेंट्रल बोर्ड का डाटा बता रहा है कि  बिहार में सबसे ज्यादा आर्सेनिक युक्त जल पटना, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर और समस्तीपुर में मिला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के मुताबिक पेयजल में 10 पीपीबी आर्सेनिक होना चाहिये। लेकिन भागलपुर में जगदीशपुर के कोलखुर्द गांव की मिट्टी में आर्सेनिक की मात्रा 1020 पीपीबी पाई गई।

अब सवाल सामने है कि 2017 से 2022 तक के कृषि रोड मैप के लिए 1 लाख 54 हज़ार करोड़ की राशि के व्यय का लक्ष्य है, तो उसमें आर्सेनिक मुक्त अनाज उत्पादन , दूध उत्पादन , दलहन और तेलहन उत्पादन, सब्जी उत्पादन का लक्ष्य कैसे पूरा होगा।

वेहतर वागवानी का नमूने सबौर कृषि वि वि में .

बहरहाल कृषि विवि सबौर के कृषि वैज्ञानिक मंथन में जुटे हैं। कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने एक स्यूडोमोनास नाम का विशिष्ट वैक्टीरिया खोजा है जो आर्सेनिक प्रदूषित मिट्टी से आर्सेनिक तत्व को अलग करता है, साथ ही फसल में आर्सेनिक तत्व के अवशोषण को कम करता है। कृषि वैज्ञानिकों ने रिसर्च हेतु भोजपुर, नाथनगर, कहलगांव जैसे इलाके के किसानों के खेत मे प्रयोग किया है। तमाम बातें अभी अनुसंधान में हैं। कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि आने वाले समय में बिहार में आर्सेनिक मुक्त अनाज का उत्पादन भी संभव हो जाएगा। विष्णुदेव प्रसाद, कृषि वैज्ञानिक, बीएयू सबौर और डॉ अजय कुमार सिंह, कुलपति, कृषि विवि, सबौर, भागलपुर ने बताया कि चुनौती बड़ी है,लेकिन जल्द ही परिणाम अच्छे आएंगे।


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