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निशु जी लोचन /
“खंजर पर कोई बून्द ; न कपड़ों पर दाग, तू कत्ल करे है कि करामात करे है” : राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भारतीय किसानों की सही तस्वीर उकेरने के लिए आज यही जुमला पेश किया. मौका था बिहार कृषि विवि में दीक्षान्त समारोह का. उनके साथ पद्म भूषण आर एस परोदा और बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार भी थे.
राज्यपाल ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा कि मैं सरकार की आलोचना नहीं कर रहा बल्कि किसानों की चुनौतीयो को बता रहा हूं. ये चुनौती न सिर्फ सरकार के लिए है बल्कि आप कृषि वैज्ञानिकों के लिए भी है. आप आपने रिसर्च आदि के अंजाम को सीधे प्रोयोगशाला से किसानो के खेतो पर भेजने का प्रबंध करे, इससे देश का भविष्य सवर सकता है, उनका इशारा सीधे बिहार कृषि विवि की तरफ था. “हम कृषि के बारे में किसानो के हित को नजरंदाज करते हुए कैसे बात कर सकते है ?” उन्होंने कहा.
राज्यपाल के कुछ प्रश्न काफी प्रासंगिक थे और शायद उन्होंने इन प्रश्नों के माध्यम से वर्तमान में किसानो की दशा और दिशा पर सवाल खड़े किये . “भारतीय इतिहास में सिर्फ गेहूं के बीज में ब्रेक थ्रू हुआ, बांकी फसलों में अभी तक क्यों नहीं? भारतीय किसान रोज ब रोज गरीब होते जा रहे है, क्यों? खेती की समस्या का समाधान सरकार कर तो कर रही है मगर किसानों की समस्या और ज्यादा विकराल होती जा रही है,” सरीखे प्रश्नों के उत्तर से शायद किसनो के हाल को बदलने में मददगार हो.
हालाँकि उन्होंने बिहार में कृषि क्षेत्र में लड़कियो के आगे आने की बात को फक्र की बात कही. वे बिहार कृषि विवि में 50 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियां को आज के दीक्षांत समारोह में डिग्री और अन्य पुरस्कार बटोर लेने को एक चमत्कार कहा. पर वे साथ में लड़को को भी अच्छे परिणाम लाने की जरूरत पर बल डाला.
उन्होंने कहा, बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति बद से बदतर है इसलिये तमाम कुलपतियों के साथ प्रत्येक महीने मीटिंग का फैसला लिया है. महिला कॉलेज में शौचालय अनिवार्य कर दिया गया है, वरना मान्यता रद्द भी हो सकती है, उनका साफ़ इशारा महिला के हक़ हकूक के प्रति था.
उन्होंने लड़कियों को छेड़ने की घटना पर काफी गंभीर हो कर बोले कि कोई भी पीड़िता बिना पुलिस के पास गए कभी भी राजभवन फोन कर अपनी शिकायत बताएं. सम्प्रति पटना की कुछ घटनाओ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किस प्रकार उन्होंने कॉलेज में लड़कियो से हो रही ऐसी घटानाओ को रोकने के प्रयास किये थे.
उन्होंने कहा कि किसानों की खेती में वैल्यू एडिशन लाना होगा. वैल्यू एडिशन सम्बन्धी उद्योग लगाने पड़ेगे. एमएसपी ( मिनिमम सपोर्ट प्राइस ) की सरकारी व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा.
नॉलेज कॉरिडोर और एग्रीकल्चर कॉरिडोर के बाद बिहार में जैविक कॉरिडोर, आखिर ये पूरा होगा कैसे ? जब राज्यपाल महोदय ने बाजिब कमियां और खामियां बताई और कहा कि फिर भी प्रयास जारी रखना चाहिए , आजादी के पहले वाली हालात तो अब नहीं हैं. बिहार कृषि विवि सबौर के चौथे दीक्षान्त समारोह में माननीय राज्यपाल महोदय के हाथों सम्मानित गोल्ड मेडलिस्ट कृषि वैज्ञानिकों से जब बात किया गया और जानने की कोशिश की गयी कि किसानों की अगली चुनौती को सुलझाने में उनकी क्या भूमिका रहेगी, सभी ने उन्ही बातो को दुहराया जिसे राज्यपाल ने कहा था.
पोलिटिकल आब्जर्वर के अनुसार राज्यपाल बतौर एक सुलझे राजनीतिज्ञ के रूप से आपनी बात रखी, पर एक बात उन्होंने बड़ी खूबी से रखी. “ मैं सम्प्रति विक्रमशिला गया था , इसे देखकर मुझे काफी दुःख हुआ कि यह क्या था और हमने विक्रमशिला जैसे वैभवशाली प्राचीन महाबिहार को आज क्या बना रखा है. पर तसल्ली की बात यह है कि इसकी गोद में स्थित सबौर ( बि बि) फल फूल रहा है”.
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