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ब्यूरो रिपोर्ट /
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यहां शुक्रवार को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में पर्यटन अध्ययन हेतु केन्द्र खोलने तथा 10 वीं शताब्दी के बौद्ध विद्वान आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान अतिश के नाम पर पीठ स्थापित करने हेतु सहमति प्रदान की।
श्री मलिक ने शुक्रवार को यहां विक्रमशिला को बढ़ावा देने हेतु इसके अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग की ईच्छा जाहिर की।
तिमाभावि के कुलपति ने कहा कि “इस विषय के संबंध में बड़ी संख्या में छात्रों ने रूचि दिखानी शुरू कर दी है तथा इस कोर्स की बहुत ज्यादे मांग है। यदि तिमाभावि के कोर्स में यह विषय शामिल हो जाता है तो इस हेतु बड़ी संख्या में सुदूर जानेवाले छात्रों को अपने घर में ही यह सुविधा उपलब्ध हो जायेगी। श्री झा ने कहा कि “कोर्स की स्वीकृति हेतु इसकी विस्तृत रुपरेखा तैयार कर राजभवन के साथ बिहार सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग को भेजी जायेगी। विश्वविद्यालय में इस विषय की पढ़ाई की शुरुआत करने हेतु इस प्रस्ताव को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को भी भेजना होगा।”
उन्होंने कहा कि राज्यपाल, जो कि विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं, ने इस बावत सहमति प्रदान कर दी है और उन्होंने शीघ्र इसकी औपचारिकताएं पूरा करने को कहा है।
राज्यपाल के विक्रमशिला परिभ्रमण के अवसर पर उन्हें प्रेस क्लब ऑफ इस्टर्न बिहार, भागलपुर ने एक ज्ञापन देकर तिमाभावि में आचार्य दीपंकर के नाम पर एक पीठ स्थापित करने की मांग की है।
क्लब के अध्यक्ष राजीव सिद्धार्थ ने बताया कि राज्यपाल ने हमें आश्वासन देते हुए कहा कि “यह शत-प्रतिशत होगा।”
इतिहासकारों ने इस कदम का स्वागत किया है। तिमाभावि के प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष बिहारी लाल चौधरी ने कहा कि “आचार्य दीपंकर का जन्म भागलपुर में हुआ था और शिव शंकर सिंह पारिजात तथा रमन सिन्हा सरीखे इतिहासकार इसपर शोध कर रहे हैं। प्रस्तावित पीठ की स्थापना हो जाने से शोध कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।’
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