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रब़टेन सोसायटी ने विक्रमशिला महाविहार स्थल के निकट मलकपुर में 9 एकड़ जमीन पर दीपंकर मंदिर तथा बौद्ध अध्ययन संस्थान का निर्माण कार्य शुरू किया है.


सरकार भले ही कुछ न करे , विदेश के बौद्ध अनुयायियों ने उठाया बीडा कुछ करने का

@news5pm

April 20th, 2018

शिव शंकर सिंह पारिजात/

विक्रमशिला के प्रति सरकार की सतत नजरअंदाज से उत्पन्न निराशापूर्ण स्थिति के बीच एक आशा की किरण स्वीटजरलैंड की  एक संस्था लेकर आयी है !

कुछ इस तरह होगी दीपंकर मन्दिर का भाग.

केंद्र सरकार द्वारा तीन वर्ष पूर्व विक्रमशिला के नाम पर केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा के बावजूद इसके अबतक धरातल पर उतारने की कवायद शुरू नहीं किये जाने और पुरातन समय में एक अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महाविहार की अहर्ताएं रखने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा इसे बौद्ध सर्किट में शामिल किये की दिशा में कोई कारगर पहल नहीं करने से उत्पन्न क्षेत्रवासियों की निराशापूर्ण स्थिति के बीच एक गैर सरकारी संस्थान द्वारा विक्रमशिला की महत्ता तथा इसके विख्यात आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान अतिश के

दीपंकर श्रीज्ञान अतिश .

संदेशों के प्रचार हेतु विक्रमशिला में अंतरराष्ट्रीय स्तर के बौद्ध अध्ययन संस्थान एवं दीपंकर मंदिर के निर्माण हेतु पहल सुकून देती है. उम्मीद जगती है कि इससे विक्रमशिला तथा इसके महान् आचार्य दीपंकर के संदेश व दर्शन के अध्ययन-अध्यापन और प्रचार-प्रसार को एक नई दिशा मिलेगी। यह भी एक विडम्बना है कि आज विक्रमशिला के आचार्य दीपंकर के दर्शन-संदशों पर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में, शोध-अध्ययन-अध्यापन तो हो रहे हैं, किंतु उनकी जन्म व कर्म-स्थली में उनकी सुधि लेने की किसी को फूरसत नहीं.

मंदिर का कार्य प्रगति पर है.

विक्रमशिला में इस दीपंकर मंदिर तथा बौद्ध अध्ययन संस्थान का निर्माण स्वीटजरलैंड की संस्था ‘इंटरनेशनल रब़टेन फाऊंडेशन’ के अधीनस्थ ‘अखिल भारतीय बौद्ध संस्कृति, विकास व संरक्षण महासंघ’ के तत्वावधान में ‘अतिश दीपंकर सोसायटी’ के द्वारा किया जा रहा है. इस हेतु रब़टेन सोसायटी ने विक्रमशिला महाविहार स्थल के निकट मलकपुर में

कुछ इस तरह का रिपलका मंदिर में लगनेवाला है.

9 एकड़ जमीन का क्रय किया गया है जहाँ निर्माण का कार्य प्रगति पर है. रब़टेन सोसायटी के सूत्रों के अनुसार लोक कल्याण के लिये यहाँ पर एक अस्पताल निर्माण की भी योजना है. मंदिर की निर्माण-योजना एवं इसमें प्रयुक्त होनेवाली सामग्रियों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इसका स्वरूप एक उत्कृष्ट बौद्ध संरचना के अनुरूप होगा जो धार्मिक प्रतीक चिन्हों से युक्त होगा जो इसे भव्यता प्रदान करेगा.

इंटरनेशनल रब़टेन सोसायटी के द्वारा दिसंबर, 2010 में विक्रमशिला के निकट मलकपुर गाँव में भव्य भूमि-पूजन समरोह का आयोजन किया गया था जिसमें तिब्बत, इंडोनेशिया, मलेशिया, स्वीटजरलैंड, चेकोस्लोवाकिया व भारत के 70 से उपर बौद्ध भिक्षु तथा बौद्ध धर्मावलंबियों ने भाग लिया था जिसमें इन पंक्तियों के लेखक भी शामिल थे. इस अवसर पर समवेत रूप से गुरु गोंसर टुल्कु रिन्पोंछे के नेतृत्व में सर्वप्रथम विक्रमशिला मुख्य स्तूप के समक्ष दीपंकर श्रीज्ञान अतिश और भगवान बुद्ध को नमन किया गया, पारंपरिक तरीके से पूजन-अर्चन हुआ तथा अतिश स्त्रोत का सस्वर पाठ किया गया.  तत्पश्चात फूलमाला और वस्त्र अर्पण करने के बाद महाप्रसाद कि वितरण किया गया. भूमिपूजन के समय बौद्ध मंत्रोच्चार के साथ आचार्य दीपंकर की अभिरक्षक देवी तारा का भी आह्वान किया गया. ऐसे तो रब़टेन सोसायटी ने 2010 में ही मंदिर निर्माण की कार्यवाही शुरू कर दी थी, किंतु स्थानीय एवं कतिपय प्रशासनिक जटिलताओं के कारण कार्य में विलंब हुआ.

अराध्य देवी में तारा भी होगी यहाँ .

रब़टेन सोसायटी की यह पहल आशान्वित करती है, किंतु सरकारी स्तर पर विक्रमशिला के प्रति उदासीन नीति खेदजनक है. फिर भी कुछ संस्थाओं की तत्परता सराहनीय है. प्रेस क्लब ऑफ ईस्टर्न बिहार, भागलपुर ने गत वर्ष भारत के राष्ट्रपति के आगमन पर उनके सम्मान में एक सोवेनियर का प्रकाशन कर न सिर्फ विक्रमशिला के विविध आयामों को उद्भाषित किया , वरन् पिछले माह बिहार के राज्यपाल के विक्रमशिला परिभ्रमण के अवसर पर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में आचार्य दीपंकर के नाम पर एक पीठ स्थापन हेतु ज्ञापन दिया, जिसपर राज्यपाल महोदय के द्वारा सहमति प्रदान की

रब़टेन सोसायटी की एक प्रथना सभा दीपंकर के जमींन पर.

गई. ऐसे प्रयासों से विक्रमशिला के विकास को बल मिलेगा. रब़टेन सोसायटी के तत्वावधान में विक्रमशिला में दीपंकर अतिश के मंदिर तथा बौद्ध अध्ययन संस्थान के निर्माण से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विक्रमशिला की ख्याति बढ़ेगी.

विदेशी टूरिस्ट विक्रमशिला में.

विक्रमशिला के लिये तत्पर कहलगाँव के पत्रकार पवन कुमार चौधरी का मानना है कि विक्रमशिला महाविहार से सटे बौद्धों की संस्था दीपंकर अतिश वेलफेयर फाऊंडेशन द्वारा निर्माणाधीन बौद्ध मंदिर परिसर भविष्य में मिनी विक्रमशिला का रूप अख्तियार करेगा.


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