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नीरज जैन/ ब्यूरो रिपोर्ट
कुकुरमुत्ते की तरह उग रहे पत्थर खनन व क्रेशर संचालन जहाँ एक ओर राजमहल पर्वत श्रृंखला की विनाश के तरफ धकेल रहा है वहा इससे फ़ैल रहे प्रदुषण की चपेट में एक बढ़ी आवादी बुरी तरह से ग्रसित हो चूका है.
अगर समय रहते हुए कुछ नही किया गया तो वह दिन दूर नहीं होगा जव भारत के इतिहास के अनेको घटनाओ का साक्षी रह चूका यह राजमहल पर्वत श्रृंखला काल के गर्त में समां जाएगा. राजमहल पर्वत के साथ दुर्भाग्य यह है की यह उदासीन सरकरी तंत्र का शयद सवसे ज्यादा शिकार हुआ है.
सवाल यह है की किस नियम के तहत इस पहाड़ पर माइनिंग लीज निर्गत होता है, इसका जवाव शयद साहिवगंज डीसि के पास भी नहीं है. पर इससे भी एक बढ़ा सवाल है अगर सरकारी तंत्र इस गोरखधंधे में शामिल है तो क्या माइनिंग का मानक मापदंडो को भी नजरअंदाज किया जा रहा है? सनद रहे की खुलेआम इस खेल का असर इलाके की आम जनता की उपर सीधे पढ़ रहा है जिसका अंजाम कोई गंभीर बीमारीओ का फैलने का है.
जरा चले उस तरफ जहाँ इस खेल परवान पर है और सारे नियमो को खत्म कर दिया गया है. प्रावधान के तहत पत्थर खनन व क्रेशर संचालन करने वालो को क्रेशर के आसपास घेराबंदी, पानी छिडकाव व प्रदूषण को रोकने के लिए कारगर उपाय करना है. नियमित पानी छिड़काव न करने व प्रावधान का अनुपालन न करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई होगी. बरहेट-बरहड़वा मुख्य पथ और बाकुडी रेलवे स्टेशन से सटे क्रेशरों से उड़ने वाले धूल से पथ पर आवागमण तो रेल मे यात्रा करने वाले लोगो को भुगतना पड़ता है.
संध्या समय पथ व बाकुडी रेलवे स्टेशन पर कुहासा सा दृश्य कायम हो जाता है. क्रेशर संचालक पत्थर चिप्स की क्वालिटी खराब न हो जाए इसके लिए पानी छिड़काव से परहेज करते है. डीएमओ विभूति कुमार की माने तो क्रेशर संचालकों को नियमित क्रेशर संचालन के क्रम मे पानी छिड़काव करते रहना है और रात्रि मे क्रेशर संचालन नही करना है. दुसरी तरफ पथ से सटे क्रेशर से बरहड़वा-बरहेट मुख्य पथ पर पत्थर, गिट्टी वैगरह बिखरी हुई है जिससे सड़क दुर्घटना की संभावना से इंकार नही किया जा सकता. इस बावत पथ निर्माण विभाग के ईइ ने कहा कि ऐसे क्रेशर संचालको को वार्न किया गया है अब डीएमओ के सहयोग से वैसे क्रेशर संचालको के विरूद्ध कार्रवाई होगी जिन क्रेशर के सामने पथ पर पत्थर, चिप्स बिखरें होगे. प्रदूषण बोर्ड के वरीय अधिकारी की माने तो बाकुडी रेलवे स्टेशन के किनारे प्रावधान के तहत पूर्व मे ही सिर्फ पत्थर चिप्स रैक लोडिंग के लिए भंडारण हेतु सीटीओं दिया गया है. जानकारी रहे कि बरहेट बरहड़वा पथ के किनारे एक-दो क्रेशर संचालक द्वारा कभी कभी पानी छिड़काव करवाए जाने की सूचना है.
करोड़ों का राजस्व देने वाले रैक लोडरों के पास नही है प्रदूषण नियंत्रण पर्षद का एनओसी :
सलाना करोड़ों रूपए रेल बोर्ड को राजस्व आमदनी कराने वाले रैक लोडरों को रेलवे बोर्ड ने प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से एनओसी प्राप्त कर ही रैक लोडिंग करने के लिए सालभर पूर्व वार्न किया था. लेकिन रेल बोर्ड के उक्त वार्निंग का कोई असर रैक लोडरों पर नजर नही आ रहा है. जानकारी रहे कि रेलवे बोर्ड ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986, जल प्रदूषण (निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1974, एवं वायु प्रदूषण (निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981 के अंतर्गत झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से आनापति प्रमाण पत्र एवं सहमति प्राप्त
कर ही रैक में पत्थर, चिप्स वैगरह लोड करने की अनुमति होगी. रैक लोडिंग के बाद ट्रैक की सफाई करवा संबंधित रेलवे स्टेशन के पीडब्ल्यूआई पदाधिकारी को सूचना दे उनसे क्लियरेंस पत्र प्राप्त करना है. लेकिन मालदा रेल मंडल के बरहड़वा, बाकुडी, तीनपहाड़, तालझारी, महाराजपुर, सकरीगली, साहिबगंज, मिर्जाचौकी समेत अन्य पत्थर, चिप्स लोडिंग प्वाइंट मे घोर अनियमितता झलकती है. रेल बोर्ड के स्थानीय अधिकारी की माने तो प्रावधान के तहत रैक लोडिंग हो तो रैक या इंजन के डिरलमेंट की समस्या पर हद तक अंकुश लगेगा. जबकि रैक लोडरों ने बताया कि रेल बोर्ड जितने फरमान जारी करती है उस अनुपात मे लोडिंग प्वाइंट पर कोई सुविधा नही देती.
पत्थर खनन व क्रेशर पुरे क्षेत्र में पर्यावरण का सत्यानाश कर रख दिया है. “इलाके में जलवायु परिवर्तन अव साफ़ दिखाई देती है जो पहले नही हुआ करता था. पिछले कुछ एक सालो में राजमहल पर्वत के हरियाली उजार गया है. इस तरह पाहाड़ का विनाश आने वाले दिनों में हमारे लिए खतरा का संकेत है,” इलाके के लोग द्वि जुवान से कहते है.
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