Change font size  -A  A  +A  ++A

मोतीझारना की खुबसूरत नजारा.


दिल चुराती है नयनाभिराम राजमहल पहाड़ी श्रृंखला

@news5pm

December 31st, 2020

दिल चुराती है नयनाभिराम राजमहल पहाड़ी श्रृंखला और हसीन वादियों

नीरज/

“चुरा लेना तुम को यह मौसम सुहाना,

खुली वादियों में  अकेले न जाना….”

पिछले ज़माने के यह चर्चित गाना शयद आज भी संथाल परगना की हसीन वादियों में चरितार्थ है. ठण्ड की दस्तक के साथ  गुनगुना धुप की साये से लिपटी ऐतिहासिक राजमहल  पर्वत श्रंखलाओ की यह वादियों पर्यटकों को लुभाने के लिए तैयार खड़ा है.

बिन्दुधाम

राजमहल की पहाड़ी शृंखलाओ के तलहट्टी व  गंगा नदी तट पर बसा  साहिबगंज जिला पर्यटकों को लुभाने  में कारगर है. पहाडीयों के बीच अवस्थित नयनाभिराम बरहेट का शिवगादी, महाराजपुर, का मोतिझारना, बरहरवा का विंदुधाम  पर वैसे तो श्रद्धालु पर्यटकों का आवागमण बारहों माह रहता है लेकिन दिसंबर माह रहता है लेकिन दिसंबर से जनवरी में इनकी महत्ता और भी बढ़ जाती है. जिसमे बंगाल के पर्यटकों की  अहम भूमिका होती है. नए साल पर सभी सम्प्रदाय नए साल के  पर्यटक इन मोनोरम s दृश्य पर विशेष कर पहुचते है.  वैसे तो संथाल परगना का हर क्षेत्र ही पर्यटकों को लुभाने में कारगर है.  यही वजह है कि  सरकार भी संथाल परगना में  पर्यटन की असीम सम्भावना के मद्देनजर कारगर पहल की बात तो करती है, पर इसे आमलीजमा पहनाने में अब तक शयद कुछ ठोस कर पाई हो.

संथाल परगना आपकी स्वागत में खड़ी है .

 

पर्यटकों के लिए बरहडवा में अनेक होटल लाज आदि है, विन्दुधाम में दो पर्यटक, यात्रिका भवन के साथ अन्य भवन यात्रियों के लिए करोडो की लागत से बने किन्तु रख-रखाव में लाखो व्यय के बाद भी जर्जर बने हुए है. यहाँ यात्री सुरक्षा तथा रास्ता ख़राब होने से पर्यटकों को हो रहे परशानियो से क्या सरकार बाकिफ है?

राजमहल में जमा मस्जिद.

गंगा तट स्थित प्राचीन राजमहल, जिसे उत्तरवैदिक युग में कजंगल के नाम से जाना जाता था और मध्य युग में अखंड वंग की राजधानी हुआ करती थी, अतीत के बहुत सारे खंडहरों को आज भी हमारे और आप के लिए सहेज रखी है. सम्राट अकवर के समय के जमा मस्जिद और गंगा तट पर वना हुआ सिंघी दालान राजमहल की कुछ उम्दा विरासतो में से है.

राजमहल की सिंघी दालान.

राजमहल पुरे झारखण्ड में इकलौता स्थान है जहाँ गंगा नदी वहती है और सालो भर शैलानियो से पटा रहता है पर ठण्ड की मौसम की कुछ अलग मजा है यहाँ.

प्रांत की एक पहाड़ी नदी .

संथाल परगना के अन्यो जगहों में दुमका, देवघर, पाकुड़, गोड्डा और जामतारा भी अपनी नैसंगिक सुन्दरता के लिए जगजाहिर है. राजमहल पर्वत श्रंखलाओ, सदावाहर हरे जंगलो से घिरी हुई मोनोरम वादियों और ऐतिहासिक महत्व रखने वाले स्थानों के चलते काफी संखा में पर्यटक इस जगह आते रहते है. पर ठण्ड के मौसम इन जगहों को और खुबसूरत करदेती है.

सरकार पर्यटन को वढावा देने के लिए अव तक पुरे संथाल परगना में क्या किया, यह यक्ष्य प्रश्न है ? पर तमाम असुविधाओ को नजरंदाज करते हुए पर्यटकों की भीड़ संथाल परगना के कोने कोने तक लगा रहता है इस लिए की यहाँ की खुबसूरत नजारा हर हमेशा लुभावना वना रहता है.

 


Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.