Change font size -A A +A ++A
शिव शंकर सिंह पारिजात/
सिल्क सिटी के बरारी सीढ़ीघाट पर विक्रमशिला सेतु के निकट टेम्पुल रोड पर स्थित राधा-कृष्ण मंदिर वास्तु-शिल्प का एक अनूठा नमूना है जो अपने निर्माण के 112 वर्ष बाद भी किसी का भी ध्यान बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेता है. मीनारों, गुम्बदों व विशाल प्रवेश द्वारों से युक्त यह भव्य मंदिर विक्रमशिला सेतु से देखने पर पानी पर तैरते किसी महल की तरह लगता है. यहां लगे शिलापट्ट के अनुसार इसका निर्माण 1905 में बरारी स्टेट के तत्कालीन जमींदार बाबू ब्रज मोहन ठाकुर के द्वारा कराया गया था. गंगा के दक्षिण लम्बी सीढ़ियों के उपर बने इस मंदिर परिसर के पूरब रामलला मंदिर है, जबकि पश्चिम की ओर पुरातन कौलिक श्रीमहादेव मंदिर है.
अष्टकोणीय आकार का संरचना :
आकर्षक रेलिंग के बीच स्थित लखौरी ईंटों व सुरखी-चूने से बने इस मंदिर का आकार अष्टकोणीय है जिसके उपर बने गुम्बद की आकृति विशाल है. मुख्य गुम्बद के चारों ओर कमल-पुष्प व लता वल्लरियों के अलंकरण से युक्त आठ गुम्बदें हैं. मंदिर की पश्चिम की ओर टेम्पुल रोड पर तथा उत्तर की ओर गंगा घाट की ओर दो विशाल कलात्मक द्वार बने हैं.
मंदिर का शैली भी है रोमांटिकः
भागलपुर संग्रहालय के पूर्ब अध्यक्ष डा. ओपी पाण्डेय बताते हैं कि वास्तु-कला की दृष्टि से मंदिर की शैली रोमांटिक है जिसकी गुम्बदें मुण्डेश्वरी जैसे प्राचीन मंदिरों की याद दिलाते हैं. धर्म के प्रतीक माने जानेवाले कमल दल, सिंह, गज आदि के अंकन में अशोक-कालीन स्तम्भों की छाया दिखती है. मंदिर के दरवाजों के दोनों तरफ संगमरमर प्लेटों पर चित्रकारी, आगे निकले छज्जों की धारियों पर उकेरे गये छोटे-छोटे ज्यामितीय आकार व गुम्बदों के नीचे उर्ध्वाकार कमल पंखुड़ियां तथा इसके अंतःभाग में बने अलंकरण बेजोड़ हैं.
कोई नहीं है देखनेवाला, ध्वस्त होता धरोहरः
उचित रख-रखाव के अभाव में काल के थपेड़ों से जर्जर होते इस अमूल्य धरोहर के प्रवेश द्वारों में लगे लोहे के गेटों,घंटियों व अन्य बहुमूल्य सामानों को असामाजिक तत्व उठाकर लेते गये हैं. दक्षिण की तरफ स्थित नरसिंह मंदिर ध्वस्तप्राय है. सुरक्षा के मद्देनजर मुख्य मंदिर में शोभित होनेवाली सोने का पानी चढ़ा राधा-कृष्ण की मूर्ति को अन्यत्र रख दिया गया है.
बन सकता है आकर्षक टूरिस्ट प्वाईंटः
हल्की मरम्मती, साफ-सफाई व रंग-रोगन से इस ऐतिहासिक भवन के पुराने वैभव को जीवंत कर इसे एक आदर्श टूरिस्ट डेस्टनेशन का स्वरुप दिया जा सकता है. इको टूरिज्म के तहत गंगा में वोटिंग तथा स्मार्ट सिटी प्लान अन्तर्गत रिवर ड्राईव व हेरिटेज कलस्टर की दृष्टि से इसका सौन्दर्यीकरण अत्यंत कारगर होगा. स्मार्ट सिटी प्लान में यह भागलपुर का एक अमूल्य धरोहर हो सकता है.
Nice Article