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कृषि मेला को लेकर सजी बिहार कृषि विश्वविद्यालय , भागलपुर.


मोटे अनाज अपनाओ, ताकत बढ़ाओ संकल्प के साथ बिहार कृषि विश्वविद्यालय सजाया कृषि मेला

@news5pm

February 24th, 2023

निशु जी लोचन/ ब्यूरो

क्या हम फिर एक वार अपने गांव की तरफ रुख कर सकते है ? आज के इस व्यस्ततम जिन्दगी में खानपान कि समस्या हमारे लिए एक चुनौती है और इसी से अनगिनत वीमारी का तानावाना हमारे हँसते खेलते जिन्दगी को तवाह कर रहा है.

निजात के रूप में शायद देश के पालिसी मेकर्स शायद कुछ करने की बात सोच रहा है. इसी कड़ी में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की पीएम प्रमाण योजना (सॉइल हेल्थ)और मीलेट्स  उत्पादन (मोटा अनाज) यानी ह्यूमन हेल्थ की इम्युनिटी को ध्यान में रखते हुए भागलपुर के बिहार

किसान मेला -बी ए इउं ( सभी फोटो : राजा बोस)

कृषि विश्वविद्यालय में एक खास मेले का आयोजन किया गया  है. बिहार में नीतीश सरकार द्वारा चौथे कृषि रोड मैप में इस बार उक्त मसले पर ही जोर दिया जा रहा है। बिहार के सबौर में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के परिसर में पूर्वी भारत  के उस मेले में किसानों के लिए ज्यादातर प्रदर्शनी मिलेट्स उत्पादन और सॉइल हेल्थ को लेकर सजाया गया है. खासकर रागी, जौ, मड़ुआ, बाजरा जैसे मोटे अनाज उत्पादन पर जोर दर्शाया गया है. मेले में किसानों के लिए अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा लगाकर सामाजिक और मानवीय तौर पर जोड़ने का प्रयास किया गया था.

मेले में सजाया गया अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा

“मोटे अनाज अपनाओ, ताकत बढ़ाओ” जैसा स्लोगन आकर्षण का केंद्र था. मोटे अनाज की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डी आर सिंह बताते हैं

उन्नत नस्ल के आलू .

कि पिछले 50 और 60 के दशक में हरित क्रांति को लेकर अनाज उत्पादन पर ज्यादा जोर रहा. अब जब भारत अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर और बड़ा निर्यातक बन चुका है, तब भविष्य के जेनरेशन को ध्यान में रखते हुए सरकारी स्तर पर कृषि वैज्ञानिकों को कई बड़ी जिम्मेवारी सौंपी गई है.

मेला का एक नजारा

कुलपति ने बताया कि पिछले कोरोना काल में भारत में मृत्युदर अन्य देशों की अपेक्षा कम रहा. उसके पीछे का बड़ा कारण हिंदुस्तान की मिट्टी और उसके कृषि उपज में रोग प्रतिरोधी क्षमता ज्यादा रही. उस कड़ी में मिट्टी की सेहत भी दुरुस्त रहे और आम इंसान की सेहत भी ज्यादा मजबूत रहे, इसलिए मोटे अनाज के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है. चूंकि हाल के दिनों में यूनाइटेड नेशन ने भी वर्ष 2023 को मिलेट्स उत्पादन वर्ष के रूप में घोषित किया है.

मेले में एक सब्जी का स्टाल .

यानी कहें तो “मेरे देश की मिट्टी सोना उगले, उगले हीरा मोती” जैसी कहावत एक बार पुनः चरितार्थ हो सकती है। ह्यूमन हेल्थ इंडेक्स में अब्बल बना रह सकता है.

अच्छी उगई : पुरस्कार भी जीता !

कुलपति, डॉ सिंह, दावा करते है की कृषि विश्वविद्यालय इस दिशा में काम शुरू कर दिया है कृषि विज्ञान केन्द्र के जरिये किसान तथा लोगो को के वीच एक मुहीम चलाया जा रहा है.


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