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निशु जी लोचन/
यह कहानी है भागलपुर ज़िले के पीरपैंती प्रखंड में हीरानंद पंचायत की है. पूरे पंचायत के लोगों की शिकायत है कि गांव के एक दबंग परिवार ने स्कूल जाने के रास्ते को बंद कर दिया. जो सार्वजनिक रास्ता पहले 8 फिट की थी अब वह मात्र डेढ़ फीट रह गई है. ग्रामीणों की चिंता इस बात को लेकर है कि उनके बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिए जाएंगे कैसे!
ये है पीरपैंती प्रखण्ड में हीरानंद मध्य विद्यायल, एकदम वीरान. बच्चों के पढ़ने की आवाज़ अब शायद बंद ही जाएगी क्योंकि स्कूल जाने का रास्ता बंद ही चुका है. बहुत पहले इस स्कूल में आने जाने के लिए गांव वालों ने मिलकर अपना जमीन दान कर सड़क बनवाई थी. 2006 में डीडीसी के आदेश पर ग्रामीण कार्य विभाग के तहत मुखिया जी ने ग्राम पंचायत योजना की सरकारी राशि से पक्की सड़क बनवा दिया था.
लेकिन 14 मई 2017 को गांव के कुछ दबंग मिज़ाज़ के लोगों ने लोभ लालच के कारण उस रास्ते पर बाउंडरी खड़ा कर दिया. अब स्कूल जाने वाले बच्चे खेत मे घुस कर स्कूल जा रहे हैं, वह भी अस्थायी तरीके से . ग्रामीणों को अपने बच्चे के भविष्य की चिंता सता रही है. गांव वाले कहते हैं कि न तो पेट्रोलिंग पार्टी और न ही पोलिंग पार्टी ही अब स्कूल जा सकेंगे. इस बात की शिकायत पत्र प्रखंड के सीओ और कहलगांव के एसडीओ को भी दिया गया है, परिणाम कुछ भी नहीं निकला है और अभी तक ग्रामीणों के वीच हतशा का माहोल कायम हैं.
मीडिया से गुहार लगाते हुए भागलपुर के जिलाधिकारी से भी इस मुताल्लिक मिले. गांव के तकरीबन 100 लोगों के सिग्नेचर वाला पब्लिक पिटीशन भी जिलाधिकारी को सौंपा. जिलाधिकारी ने कहा कि मामला संज्ञान में आई है, जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
25 साल पहले से ही वह सड़क चालू हालत में थी. 2006 में सर्वसम्मति से सरकारी पैसे से सड़क बनाने का निर्णय लिया गया. मुखिया जी ने ग्राम पंचायत की योजना का पैसा लगाया. लेकिन अब अगर कोई एक दबंग पूरे पंचायत पर भारी पड़ रहा है तो कल को उस पंचायत में कोई अनहोनी इनकार नहीं किया जा सकता. फिलहाल गांव वालों की चिंता अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर है. गांव वाले कि मांग है की बिहार सरकार ने अगर अतिक्रमित जमीन से कब्जा हटाने फैसला किया है तो हीरानंद गांव में स्कूल जाने के रास्ते पर से अतिक्रमण हटाया जाए.
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