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ब्यूरो रिपोर्ट/
आज बिहार दिवस के अवसर पर पुराविद अरविंद सिन्हा राय, जिन्होंने वर्ष 2017 मार्च से 2018 के फरवरी माह तक भागलपुर का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया , की प्रेरणा से भागलपुर के इतिहासकारों के एक टीम विश्व के अति प्राचीन शहर ” चंपा ” का अध्ययन करने गए थे.
सनद रहे की चंपा प्राचीन 16 महा जनपदों में से 4 नंवर पादान पर था और इसकी वैभव पुरे विश्ब में फैला हुआ था. तथागत गौतम बुद्ध भी यहाँ आये थे.
टीम का नेतृत्व तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के समन्यवक प्रो. बिहारी लाल चौधरी कर रहे थे, साथ मेंं महादेव सिंह कालेज के इतिहास के प्राध्यापक डां. अरविंद कुमार सिंह, फोटोग्राफर श्री मनोज कुमार दास एवं इतिहासकार रमण सिन्हा भी थे.
टीम सी. टी. एस. गढ़ के पूरब पीपरपांती मुहल्ला से प्रवेश कर वर्त्तमान आई. जी. आफिस के पीछे से सर्वेक्षण करते निकले. “ वहां स्पष्ट दिखाई पडा कि चालीस से पचास फीट ऊंचा ढूंह उर्फ टील्हा है, पुरातात्विक भाषा मेंं MOUND बोला जाता है. लगभग साठ वर्षीय हज्जू साह ने बताया कि बी. पी. सिन्हा ने इसी गुफा की खुदाई की थी मैं उस समय आठ से दस वर्ष का बालक था. हमलोग खेलते थे उनकी टीम हेलमेट पहनकर खुदाई करते थे, बहुत सारे सामान मिला था. ग्रामीण मनोज राय ने बताया कि 2003 के बाद यहां ज्यादा लोग बसने लगे, सिन्हा ने अपनी आखोदेखि वर्णन किये. ग्रामीणों एवं बच्चों ने सीढी लाकर सहयोग करते हुए कुछ ऊंचाई तक साथ चलकर टीम का मार्गदर्शन किया.
सिन्हा के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वैदिक काल एवं उसके बसे शहरों में ” अति प्राचीन शहर चंपा ” के जीवंत अवशेष आज भी प्रमाणित कर अंग जनपद को गौरवान्वित कर रहा है, क्योंकि चंपा , अंग की राजधानी थी. “भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण
विभाग को , मेरी व्यक्तिगत जानकारी के अनुसार , एक मात्र प्राचीन शहर चंपा ही अब तक सुरक्षित है, जहां से आज भी पुरातात्विक सामग्रियाँ मिल रही है,” सिन्हा ने कहा. टीम के सदस्यों ने इतिहासप्रेमियों सहित शहर वासियों से अपील है कि जीवंत विरासत उर्फ धरोहर को बचाकर रखें क्योंकि चंपा का इतिहास ही अंग जनपद का इतिहास था. साथ ही साथ बिहार सरकार से अपील किया की जल्द से जल्द पुरे इलाके को संरक्षित कर एक अमूल्य विरासत को बचाने का चेष्टा करे.
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