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प्राचीन चंपा - पॉवर पॉइंट प्रोजेक्ट एस ऍम कॉलेज में .
शिव शंकर सिंह पारिजात/
आज हमारा वर्तमान इतिहास से कट-सा गया है और ऐसा करके हम अपने भविष्य को धूमिल कर रहे हैं. इतिहास की उपेक्षा कर हम कभी भी उज्जवल भविष्य की कल्पना नहीं कर सकते. उक्त बातें आज भागलपुर के एस. एम. कॉलेज में आयोजित ‘चम्पा का पुरातत्व’ विषयक व्याख्यान में भागलपुर-सह-मुंगेर जोनल डीआईजी विकास वैभव ने मुख्य अतिथि के रूप में कही. उच्च-पदस्थ अतिव्यस्त आईपीएस अधिकारी होने के बावजूद इतिहास में अत्यंत रूचि रखनेवाले वैभव ने स्लाइड शो के माध्यम से छात्र-जीवन से लेकर अभी तक के अपने इतिहास के सफर पर प्रकाश डालते हुए धरोहरों के प्रति हमारी भूमिका व उत्तरदायित्व की चर्चा करते हुए कहा कि इतिहास को सिर्फ किताबों में पढ़िये ही नहीं, देखिये भी – इतिहास हमारे चारों ओर बिखरा पड़ा है. आज हमारे पिछड़ेपन का महत्वपूर्ण कारण ये है कि हम इतिहास से ‘डिसकनेक्ट’ होते जा रहे हैं.

कार्यक्रम का शुभ आरंभ
इस अवसर पर चम्पा के पुरातत्व विषय पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तृत प्रकाश डालते हुए बिहार सरकार के पुरातत्व विभाग के पुराविद् अरविंद सिन्हा रॉय ने कहा पुरातात्विक अध्ययन के क्रम में हमने पाया कि चम्पा एक विशाल नगरी रही होगी जो एक ब्यापारिक केंद्र था. श्री अरविंद ने बताया कि चम्पा मध्य गंगा घाटी में गंगा के किनारे अवस्थित था और ताम्रलिप्ति, उज्जैन, वाराणसी आदि की तुलना में मध्य में स्थित होने के कारण गंगा के ‘अपर’ व ‘लोअर’ दोनों घाटियों के बंदरगाहों के बनिस्पत महत्वपूर्ण था एवं इस कारण यहां बड़े पैमाने पर ब्यापारिक गतिविधियां होती थीं. विदित हो कि पुराविद् अरविंद पुरातत्व विभाग की ओर से पिछले छह महीनों से अपनी टीम के साथ भागलपुर जिले का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर रहे हैं और इस दौरान उन्होंने यहां17 से 18 हजार पुरा सामग्रियों की खोज की है जिनमें प्राचीन मूर्तियां,टेराकोटा के बर्तन के टुकड़े, ढूह, मिट्टी के प्राचीर, पाषाण युग के हथियार, आदि शामिल हैं. साथ ही साथ उन्होंने तकरीवन 225 नए साईट भी खोज निकले है जहाँ कोइ बढ़े बढ़े सभ्यता भी जमिन्दोज़ है, बस सिर्फ खुदाई करने के अनुमति मिलने का देर है.

पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन पर पुराविद् अरविंद सिन्हा रॉय.
पुराविद् अरविंद ने बताया कि चम्पानगर के तिमुहियां-घाट के निकट प्राचीन बंदरगाह के अवशेष मिले हैं. इसके आस-पास ऐसे चार ‘पॉकेट’ मिले हैं जहां बड़े-बड़े जहाज आकर रूकते होंगे. इसी स्थान पर 4-5 फीट मिट्टी के नीचे से चार छोटे-बड़े बटखरे, ग्लॉस-चोंगा, रोम-कालीन पॉटरी जिसपर प्राचीन रोमन लिपि का एक अक्षर चिन्ह के रूप में बना है व अन्य सांस्कृतिक गतिविधि संबंधित सामग्रियां मिली हैं जो ये संकेत देते हैं कि यहां वृहत् स्तर पर देशी-विदेशी ब्यापार होते होंगे.

भागलपुर में एक टिल्ला- अतीत का खजाना .
चम्पा की प्राचीन नगर-संरचना की जानकारी देते हुए पुराविद् अरविंद ने अपने शोध के आधार पर बताया कि यहां पर दो स्तर पर नगर की सुरक्षात्मक घेराबंदी के प्रमाण मिले हैं. कर्णगढ़, जहां अभी सीटीएस है, मुख्य Fortified Area था जहां राजा का महल रहा होगा तथा वहां प्रथम स्तर की किलाबंदी थी. इसके अलावे टिल्हा कोठी से लेकर शाहजंगी, नीलमही, मखदूम शाह के टीले तक चारों तरफ से घेराबंदी थी जिसके बगल में सुरक्षात्मक खाई थी. उन्होंने बताया कि इस पूरे क्षेत्र में मिट्टी के दीवारों, टीलों व खाईयों के अवशेषों की पहचान पुरातत्व सर्वेक्षण टीम द्वारा चिन्हित की गई है. उन्होंने बताया कि चम्पा की नगरीय व्यवस्था व इसके डॉकयार्ड (बंदरगाह) क्षेत्र की सैटेलाइट मैपिंग की गई है.
प्रारम्भ में एस. एम. कॉलेज की प्राचार्या अर्चना ठाकुर ने आगत अतिथियों का स्वागत किया जबकि प्रो. तबस्सुम परवीन ने धन्यवाद-ज्ञापन किया. प्रो. रमन सिन्हा ने मंच-संचालन करते हुए एस.एम. कॉलेज के इतिहास पर एक रोचक स्लाइड शो प्रस्तुत किया.
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