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निशु जी लोचन /
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 20 से 22 दिसम्बर तक होने वाली दुसरे चरण की विकाश कार्यो की समीक्षा यात्रा टल जाने के से पूर्बी बिहार सहित सीमांचल के आला अधिकारियो ने राहत की साँस ली.
मुख्यमंत्री की इस यात्रा स्थगित होने से वे सभी काफी राहत महशुश कर रहे है. मुख्यमंत्री को इलाके में चल रहे विकाश कार्यो का समीक्षा करनी थी. पर जब इलाके की जमीनी हकीकत कुछ और बया कर रहा है, विकाश फिसड्डी में चली गयी है, अधिकारियो के लिए काफी असहज परिस्थिति उत्पन्न होने वाला था जो फिलहाल टल गया.
मुख्यमंत्री का ना आना इलाके में अधिकारियो के बीच जश्न जैसे माहोल है पर यक्ष प्रश् है की क्या मुख्यमंत्री आजकल ढीले पढ़ गए है? क्या उनका कंट्रोल इन अधिकारियो के ऊपर अब नहीं रहा? और रही बात मुख्यमंत्री की यैसे यात्रायों क्या उस पुराणी कहावत “ हरि कम, हरिबोल ज्यादा” को चरितार्थ कर रही है ?
मुख्यमंत्री कुमार अपनी वजूद में आने से लेकर अबतक कुल 11 सालों में 11 यात्राएं कर चुके हैं. 2005 से शुरू हुई न्याय यात्रा अब 2017 की समीक्षा यात्रा में तब्दील हो चुकी है . लेकिन 12 सालों के सुशासन काल में अभी भी विकास की बातें आधी अधूरी है.
नीतीश आपने 12 जुलाई 2005 को नए बिहार के संकल्प को लेकर न्याय यात्रा निकाली थी. नतीजा ठीकठाक मिला . जीते और एनडीए के साथ मिलकर सरकार बना लिए . फिर जब 5 साल सत्ता का स्वाद मीठा रहा तो 2010 चुनाव के ठीक पहले 9 जनवरी 2009 को आपने विकास यात्रा निकाली . रूरल केबिनेट से लेकर रात्रि विश्राम भी आपने गांव में ही किया था . जनता को तब आपने कहा था कि अब आप जाग जाइये।नीतीश कुमार आपको जगाने से लेकर इलाके की विकास करने के लिए निकले हैं.
तब आपने तमाम इलाकों में कई घोषणाएं कीं. उसका जीत जागता मिशाल आज भी आपके सामने है. सिर्फ भागलपुर इलाके में आपका 2009 में शिलापट्ट लगा चम्पानाला पूल , घोरघट पूल, गेरुआ पूल आज भी अधूरा पड़ा हुआ है. आपने 17 मई 2015 को कोशी नदी पर विजय घाट पूल का उद्घाटन किया. लेकिन आज भी पूल का अप्रोच रोड नहीं बना है. जमीन अधिग्रहण का मसला लटका पड़ा है. आपने 17 जून 2009 को धन्यवाद यात्रा किया. 25 दिसंबर 2009 को प्रवास यात्रा किया . 28 अप्रैल 2010 को विश्वास यात्रा किया. 9 नवम्बर 2011 को सेवा यात्रा किया. 19 सितंबर 2012 को अधिकार यात्रा किया. 5 मार्च 2014 को संकल्प यात्रा किया. पुनः 2015 चुनाव की आहट के पहले 13 नवम्बर 2014 को संपर्क यात्रा शुरू किया . बिहार में तब सत्ता बदल गई लेकिन आप यथावत रहे . पुनः 9 नवम्बर 2016 को निश्चय यात्रा निकाल कर अपनी निश्चिंतता झांकने लगे . लेकिन अब आप समीक्षा यात्रा पर हैं, ताकि पता कर सकें कि जो आपने तब जनता के बीच सहज भाव मे कहा था उसका वजूद है भी या फिर आपको लेकर जनता का वजूद कुछ और है.
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