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निशु जी लोचन/
पूर्णिया का दुर्गा कातं झा की दोस्ती मधुवनी जिले का प्राण मोहन बाबु से आज एक परिवारिक रिश्ता में बदल गया !
हुआ यू की प्राण मोहन बाबु की बेटी का जो सम्प्रति पुलिस ट्रेनिंग स्कूल, भागलपुर में पासिंग आउट परेड में शामिल हुई थी, पुलिस में नौकरी पा लिया. दुर्गा कातं उस पासिंग आउट परेड में अपने दोस्त के साथ दर्शक दीर्घा में था और वर्दी में फुर्तेली उस कन्या को देखकर उसे अपने बहु के रूप में चयन कर लिया. दुर्गा कातं का बेटा जो एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत है, को लड़की पसंद होने के बाद आज शादी पक्की हो गई. “ मेरे दोस्तों को एक वर्दी वाली बहु मिल गया और मुझे दहेज की झंझट से मुक्ति,” प्राण मोहन उत्साहित होकर कहा.
भागलपुर की यह घटना महज एक शादी की कहानी नहीं है अपितु यह शयद बिहार में चले आ रहे सामाजिक बिसंगति जैसे दहेज प्रथा या महिला अत्याचार आदि शदियो पुरानी कुप्रथा के खिलाफ शुरु होनेवाली लडाई का एक ट्रेलर था. शराबबंदी के बाद बिहार में ऐसा ही कुछ सामाजिक क्रांति शुरू होनेवाला है; नितीश कुमार प्रदेश में आगामी 2 अक्टूबर से दहेज निवारण आदि के खिलाफ सख्त कानून लागु करवाने वाला है.
अब जरा नजर फरमाए जुलाई 18 की दिन, स्थान सी टी एस, ग्राउंड, नाथनगर, पासिंग आउट परेड का दृश्य. और दर्शक दीर्घा में प्राण मोहन या दुर्गा कातं जैसे अनेको जो या तो वर्दी वाली बेटी की बाप के हैसियत से या नहीं तो होनेवाली वर्दी वाली बहु के तलाश में थे. सनद हो की यह बिहार में पहली बार 50 प्रतिशत महिला आरक्षण का नतीजा महिला पुलिस बल के रूप में दिखने को मिला. उस दिन लगभग 1400 की संख्या में महिला पुलिस बल जनता की सेवा के लिए ट्रेनिंग समाप्ति के बाद बहाल हो गईं . पर इसमें दो बातें खास थी- एक तो मिथिलांचल और मगध की वर्दी वाली बेटियां ज्यादा थीं और दूसरी , बड़ी संख्या में वैसे गार्जियन भी थे जो वर्दी वाली बहु के लिए मौजूद थे.
झनकदार आवाज के साथ शपथ लेती ये महिला पुलिस बल के जवान बिहार की जनता की सेवा के लिए तैयार थी. 1400 कि संख्या में एक साथ राज्य के अलग अलग थानों में जब इनकी पोस्टिंग होगी तो कल तक जो महिलाएं थाने जाने से हिचकती थी उन्हें अब थाने में जाने से कोई सोंकोच नहीं होगी. भागलपुर रेंज के आईजी, सुशील मान सिंह खोपड़े ने बताया कि महिला आरक्षण का नतीजा है कि आज हम बड़ी संख्या में महिला पुलिस बल को शपथ दिला सके.
पुलिस ट्रेनिंग स्कूल के आईपीएस प्रिंसिपल अभय लाल ने बताया कि 1400 महिला पुलिस बल में डीयू, जेनएयू, एम बी ए और पीजी की भी लड़कियां शामिल हैं और ज्यादातर मिथिलांचल और मगध से हैं. प्लस टू तो निम्नतम आहर्ता है वाबजूद इसके अगर गरीबी और बेरोजगारी में अपने प्रदेश में ही इस रूप में नौकरी मिली तो अवश्य बेटी पढ़े , बेटी बढ़े को सफलता मिली कही जा सकती है और उनमें मगध और मिथिलांचल कि बेटियाँ आगे आई है.
नीतीश कुमार की सरकार भले 2 अक्टूबर से दहेज निवारण के लिए सख्त कानून बनाये लेकिन नाथनगर के पासिंग आउट परेड में किसी के वर्दी वाली बेटी की अपना बहु बनाने के लिए कई बेटे के बाप बिना दहेज के बहु की चाहत रख बातचीत और देखा सुनी करते देख यह लगा की यह जरुर महिला सशक्तिकरण के रूप में बिहार में पहला और बड़ा मिशाल के तौर उभर सकता है.
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