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ब्यूरो रिपोर्ट/
कहने को तो एनटीपीसी जैसे बडा संस्थान बिजली क्षेत्र में लाखो कमा रहा है पर कहलगांव प्रोजेक्ट इलाका के आसपास लोगो के जीवन में इसका जो असर हुआ है, इसका आकलन कोई आसन नहीं है. सरकारी तंत्र भी एकतरह से तमाशबीन बन बैठा है. पर लोगो का दुःख दर्द का श्यायद कहलगांव इकाई का भारतीय जनता पार्टी पर कुछ असर हुआ है जो यह पार्टी इलाके के लोगो के साथ खड़ा हुआ.
इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी कहलगांव इकाई द्वारा आज प्रातः 8:00 बजे से बदल बाबा स्थान एमजीआर सड़क के निर्माण को लेकर धरना दिया गया. धरना का नेतृत्व पूर्व विधायक अमन कुमार सुरेंद्र सिंह एवं दिलीप मिश्रा कर रहे थे. धरना में प्रभावित क्षेत्र के बड़ी तादाद में लोग शामिल हुआ. भाजपा नेताओं ने कहा कि एनटीपीसी प्रबंधन की उदासीनता के कारण 30 वर्षों से लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं. बरसात के दिनों में क्षेत्र टापू बन जाता है और अवतक कई लोग दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं.
भारत सरकार की पहल पर एनटीपीसी मुख्यालय ने 70 करोड़ रुपया एमजीआर सड़क के निर्माण के लिए स्वीकृत किया है. लेकिन एकल निविदा लंबित होने के नाम पर सड़क का निर्माण अब तक प्रारंभ नहीं हो पाया है. आजकल आ रहे हैं एनटीपीसी के सीएमडी को भी सड़क की बदहाली से अवगत कराया जाएगा तथा अभिलंब सड़क निर्माण प्रारंभ करने की मांग की जाएगी. धरना में शामिल प्रमुख लोगों में शंकर सिंह पूर्व मुखिया जय प्रकाश दास जयप्रकाश सिंह अनिरुद्ध मुसाहर जयकांत सिंह सुग्रीव आदि थे.
8:00 बजे से 11:00 बजे तक एमजीआर पर धरना दिया गया इस दौरान कोयला का रैक खड़ा रहा एनटीपीसी के समूह महाप्रबंध, राकेश समुअल, एजीएम एच आर प्रभात राम एवं शशि राय सहित अन्य अधिकारियों ने धरना स्थल पर पहुंचकर धरनार्थियों से बातचीत की. समूह महाप्रबंधक, राकेश समुअल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा की एकल निविदा मुख्यालय में लंबित है प्रबंधन शीघ्र सड़क निर्माण के लिए प्रयत्नशील है निविदा आवंटित होने की स्थिति में एक से डेढ़ महीने में कार्य प्रारंभ करा दिया जाएगा. अगर निविदा रद्द होती है तो पुनर निविदा करा कर 3 से 4 महीने में एमजीआर का सड़क का निर्माण प्रारंभ किया जाएगा. बरसात के दौरान लोगों को कठिनाइयां नहीं हो इसके लिए एमजीआर के इंचार्ज अभियंता को सड़क पर मेटल स्टोन डस्ट डालकर आपको लगातार मोट रेबल बनाने का निर्देश दिया. ग्रामीणों से आग्रह किया कि किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर ग्रामीण उन्हें सीधे तौर पर बात कर सकते हैं.
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