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निशु जी लोचन /
भागलपुर के नौगछिया अनुमंडल में बिहपुर और नारायणपुर प्रखंड का 900 हेक्टेयर खेत इन दिनों खास चर्चा में है। क्वालिटी प्रोटीन मक्का उत्पादन वाले इलाके से एक दर्द भरी बातें सामने आई हैं. उन इलाके के किसानों ने मक्के उत्पादन के लिए जिस बीज का इस्तेमाल किया था , उसमें अब मकई का फसल तैयार होने के पहले देखा गया की मक्के (भूटटे) में दाना ही नहीं आया है. इलाके के किसान आत्मदाह की बात करने लगे हैं. महाजन से सूद पर पैसे लेकर मकई उत्पादन में लगाया था. किसानों ने यह भी बताया कि पिछले बरस जो मकई का उत्पादन हुआ है उसका खरीददार भी नहीं मिला है. बिहार
सरकार ने धान उत्पादन किसानों की तरह मकई उत्पादन किसानों के लिए कोई सरकारी समर्थित मूल्य भी तय नहीं किया है. एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि सरकार ने बीज ग्राम की घोषणा भी की है. प्रखंड स्तर पर किसानों को सरकारी बीज देने की बात भी की है लेकिन आज भी खासकर मकई उत्पादन के लिए प्राइवेट कंपनियां ही बीज उपलब्ध कराती हैं. और वैसे बीज कंपनियों का कारोबार सालाना अरबों रुपये में रहता है. मौजूं सवाल यह है कि अगर बेगूसराय से कटिहार तक अगर नीतीश कुमार ने ही क्वालिटी मेज प्रोडक्शन ज़ोन तय किया है तो किसानों की ऐसी दुर्दशा को भी देखने की जरूरत है. न्यूज़ 5 पीएम की टीम ने नौगछिया के सोनबरसा गांव के लगभग 100 एकड़ के लगे मकई फसल को देखा और पीड़ित किसानों से बात की. मौके पर बिहपुर प्रखंड कृषि पदाधिकारी अभय कुमार भी मौजूद रहे.
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