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मंत्री उमा भारती सुल्तानगंज में .


भागीरथ किया था गंगा को जहन्नु ऋषि के कब्ज़े से मुक्त, पर आज यह कैसे होगी सिल्ट से मुक्त ?

@news5pm

June 1st, 2017

निशु जी लोचन/

 

स्वर्ग से अवतरित गंगा जब राजा सगर के 60 हज़ार पुत्रों को जीवन दान देने धरती पर होते हुए गंगासागर जा रही थी जहन्नु ऋषि ने उसका आचमन कर लिया . वह जगह था सुल्तानगंज . तब जहन्नु ऋषि को क्रोध आने का कारण था गंगा का मचलते हुए बहना. राजा भागीरथ ने अनुनय विनय किया तो जंघा चीर कर ऋषि ने गंगा को पुनः प्रवाहित किया . ये बातें कथाओं में वर्णित हैं लेकिन मौजूदा समय में वही गंगा  आज बहने को तरस रही है. गाद के अवसाद से ग्रस्त हो नई कहानी वयां कर रही है . और जब बात गाद यानी सिल्ट की चली है तो अब राज्य सरकार और केंद्र सरकार का गंगा को लेकर एक ही गाना को दो सुरों में गाते सुनाई दे रहा है.

गंगा मंत्रालय की मंत्री उमा भारती ने गंगा की अविरलता, निर्मलता और गाद के मसले पर उसी जहन्नु ऋषि से प्रार्थना की और उनके आश्रम के पास ग्रामीणों के साथ चौपाल का आयोजन कर संवाद किया. गंगा मंत्रालय के तमाम अधिकारी के साथ नमामि गंगे मिशन पर बात की .अपने संवाद में मंत्री उमा भारती ने कहा नीतीश कुमार के पहले से ही हमारी नज़र सिल्ट पर पड़ी जब 2012 में गंगा यात्रा पर थीं. फ़रक्का बराज के कारण सिल्ट नहीं है बल्कि गाद के लगातार जमा होने की वजह से हालात पैदा हुए हैं.  हल्दिया से बनारस तक इनलैंड वाटर वे और एन एच का निर्माण होने में गाद के इस्तेमाल से समस्या कम हो जाएगी. गंगा किनारे पेड़ लगाने की जरूरत है.  किनारे किनारे जैविक खेती अनिवार्य करनी होगी , गंगा में अवैध माइनिंग रोकना होगा. गंगा किनारे 764 फैक्ट्री को बंद करना होगा. गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए गंगा एक्ट बनाना होगा . विदेश की नदी राइन और टेम्स के तर्ज पर तकनीक का इस्तेमाल पर भारत सरकार विचार कर रही है . गंगा नदी आस्था के लिहाज से डुबकी लगाने वाली नदी बनकर रह गयी है . नमामि गंगे का 20 हज़ार करोड़ सिर्फ पाप को धोने के लिए है . जरूरत 50 हज़ार करोड़ की है जो पूंजीपतियों से लेकर जनभागीदारी के साथ गंगा को निर्मल किया जाएगा . गंगा की जमीन पर से अतिक्रमण भी हटाया जाएगा . शपथ दिलाते हुए कहीं की गंगा भक्त और गौ भक्त वही हैं जो गंगा और गौ की रक्षा के लिये आगे आये .

मंत्री उमा भारती से सारी बात तो कह डाली लेकिन भगीरथ सवाल अभी भी बरकरार है कि गंगा की अविरलता, गाद की समस्या के समाधान के लिए भगीरथ प्रयास कहाँ से होगा. और अगर कुछ भी नही हुआ तो शायद गंगा नदी घाटी की सभ्यता भी सिंधु नदी घाटी सभ्यता की तरह इतिहास के पन्नो में दर्ज हो जाएगी.

अव देखना यह है की आज रात नितीश कुमार के साथ मंत्री उमा भारती की बैठक में क्या नतीजा निकलता है, बिहार को किस प्रकार का सेंट्रल से मदत की दरकर है या मोदी सरकार क्या सही में गंगा के खातिर बिहार को मदत करेगा? गंगा को लेकर राजनीती शुरू हो चूका है जो आगे चलकर और बढ़ने का उम्मीद किया जा रहा है. अपनी डफली अपनी राग के तर्ज़ पर संगीत बजना शुरू हो चूका है. पर एक अच्छी बात सामने आ रही है की प्रधान मंत्री एक सेंट्रल के टीम को बिहार भेज रहे है जून 5 को, देखना यह है की आगे होता क्या है.  पर  साथ ही साथ सवाल है की इस सब से परे गंगा के लिए सही प्रयास क्या सही में हो पायेगा ?


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