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ब्यूरो रिपोर्ट/
बिहार में शराबबंदी तो हो चुका है पर क्या नशाबंदी हो पाया? यह यक्ष प्रश्न का सीधा उत्तर है नहीं.
सूबे में शराबबंदी के बाद गांजा तस्करी में काफी वृद्धि हो गई है। खासकर सीमांचल के इलाके में इन दिनों गांजा की तस्करी काफी बढ़ी है. पूíणया जैसे जिलो में पुलिस की कार्रवाई में बड़ी मात्रा में गांजा की खेप पकड़ा भी रहा है.
राज्य में शराब प्रतिबंधित होने के बाद नशा के तौर पर अन्य विकल्पों का लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. पूíणया बंगाल और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र से सटे होने के कारण नशा तस्करों के लिए यह मार्ग उपयुक्त बन गया है. तस्कर इस रास्ते गांजा सहित अन्य जिलों में नशा तस्करी करने में जुटे हैं. इलाके में बेधरक गांजा का इस्तेमाल हो रहा है और पुरे सीमांचल का क्षेत्र में तस्करों ने आपना जाल फैला रखा है.
news5pm के पास उपलब्ध आंकड़ों चौकानेवाला है. वर्ष 2015-16 की तुलना शराबबंदी बाद 2016-17 में गांजा तस्करी के कारोबार में करीब 90 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अकेला पूíणया मे 2015-16 में जहां मात्र 13 किलो गांजा पकड़ाया था वहीं 2016-17 में अबतक दो हजार किलो गांजा पकड़ाया है। यह आंकड़ा काफी महत्तपूर्ण है जो शराबबंदी के बाद गांजा तस्करी में हुई बढ़ोतरी को साफ दर्शाता है.
“शराब पीने में बहूत खतरा है पर नशा के बिना रात को नींद आती ही नहीं है. रात में थोड़ी सी गांजा पी कर किसी तरह सो जा जाता हूँ,” नाम न छपने के शर्त पर एक युबक ने कहा. शहर में कई लोगो से वैसा ही जवाब मिला पर सबसे चौकनेवाला बात यह था की गांजा मिलना अब काफी आम बात है.
पुलिस के एक आला अधिकारी को मानो तो बांग्लादेश, नेपाल तथा पुर्वोतोर राज्यों का निकट होना नशा तस्करों के लिए इस इलाका में काम करना काफी आसान है. साथ ही साथ नशा में गांजा जैसा का सेबन करनेवालो का संख्यां दिनों दिन बढ़ रहा है. यही नही खुफिया बिभाग के अनुसार पूíणया जैसा शहर से गांजा देश के बिभिन्न प्रान्तों में भेजा जाना शुरू हुआ है. “ तस्करों ने यहाँ सिंडीकेट चलाना शुरू किया है, बिभिन्न जगहों से गांजा यहाँ लाकर उसे खपाया जा रहा है. बरोजगार लोगो को कुरीयार के रूप ने इस्तेमाल किया जा रहा है जो एक जगह से दुसरे जगह माल को चंद पैसे के लिया पंहुचा देता है,” एक खुफिया अधिकारी नाम न छपने के शर्त पर बताया.
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