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शयद अब इन नस्त हो रहे ऐतिहासिक और पुरातात्बिक अवशेषों का सरक्षण हो .


क्या है गौरीपुर पहाड़ी पर लिखी हुई लिपि एवं बौद्ध स्तूपों के रेखा चित्र के रह्ष्य ? कौन और कब खुदवाया था इन शिलालेखो को ?

@news5pm

June 12th, 2017

रमन सिन्हा/

बाकां जिला शंभूगंज प्रखंड के पंखुरी पंचायत के गौरीपुर गांव स्थित मंदिर के पास वाली पहाड़ी पर लिपि एवं बौद्ध स्तूपों के रेखा चित्र आज भी हैं. बिहार पुरातत्व निदेशालय के पुराविद अरविंद सिन्हा राय, उनके दल के सदस्य रौशन कुमार, पवन कुमार, मनीष कुमार के साथ एस. एम.एस. स्कूल के प्रिंसिपल के.के.सिंह, प्रो.बिहारी लाल चौधरी, डां. रजी अहमद के साथ लेखक भी अध्ययन करने पहुंचे.

गौरीपुर पहाढ़ के पास खोज दल में शामिल लेखक.

 

ग्रामीण जलील यादव ने एक छोटा सीढी उपलब्ध कराया एवं गांव के युवाओं ने बाल्टी सहित पानी दिया. ग्रामीणों का मानना है कि आज तक लिपि पढा नहीं जा सका है, और जो पढ लेगा वह स्वर्गलोक चला जायेगा. पुराविद श्री राय ने चुनौती स्वीकार करते हुए शोध छात्रों से लिपि सफाई करने कहा. सफाई के बाद श्री राय ने प्रोटो बांग्ला लिपि की संभावना जताते हुए कहा कि लिपि विशेषज्ञों के सलाह के बाद ही निर्णय दिया जा सकता है.

क्या है राज इन आकृतियो के पीछे?

 

पास के रेखा चित्रों को देखते ही बताया कि बौद्ध स्तूपों का है, स्तूपों में आठ लाईन है जिसमें कुछ संदेश लिखा है. यह बौद्धों का स्टाईल रहा है. अतः बौद्ध स्तूपों का रेखा चित्र है. मंदिर के पुजारी चतुरानंद गिरी ने बताया कि पहाड़ सहित कुल जमीन 151 बीघे का है जो खडगपुर राज की रानी चन्द्रमा देवी ने दान में दिया है. इसी में 22 बीघा का सीढियों वाला तालाब भी था. बाढ़ के कारण भर गया लेकिन सीढ़ी का ईटा आज भी दिखाई देता है. पुजारी गिरी के अनुसार पहाड़ी पर चार गुफा भी है. साथ ही मंदिर प्रांगण के कुआं से पंचामृत नुमा दूधिया पानी मिलता है जो मिठास भरा रहता है.


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