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केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री का गांव के अस्पताल .


केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनी चौबे के गांव के अस्पताल का सच ; तो बिहारी कैसे दोष के पात्र है ?

@news5pm

October 16th, 2017

निशु जी लोचन /  

“बिहारी दिल्ली के एम्स में भीड़ बढ़ाता है”-   ये बातें केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनी चौबे का है या नहीं लेकिन पूरा वाइरल हो चूका है.

आलोचना भी हो रही है- बिहार के लोग चौबे को भला बुरा कहने को थम नहीं रहा है. लोगो का कहना है की कोई भी शौक से एम्स में जाता नहीं; आप यहाँ के अस्पतालों को ठीकठाक करवा दीजिये, हम इलाज यहाँ ही करवा लेगे. जान वचाने के चक्कर में मजबूरी दिल्ली दौडना होता है, अगर यहाँ सबकुछ ठीक रहता तो दिल्ली जाने का पैसा भी बच जाता और परेशानी भी.

बात तो बिलकुल सही है पर और सच जानने के लिए चलिए आप को ले चलते है मंत्री जी के पुस्तैनी गांव दरियापुर के अस्पताल. दरियापुर भागलपुर जिले में है. अश्वनी चौबे इसके पहले बिहार में भी स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं. उनके गांव के अस्पताल की दशा न तब सुधरी और न ही अब सुधरे हैं, यह देखकर प्रतिक होता है. न दवा है, न नर्स और न ही डॉक्टर.  उस दशा में अब एक बिहारी क्या करे ?  चौबे जी जो कहे वही करे या फिर जान वचाने के खातिर विकल्प तलाशे ? विकल्प में एम्स भी तो हो सकता है !

डॉक्टर के इंतेजार में मरीज .

 

इलाके की मौनिया देवी दर्द से परेशान होकर रोती बिलखती दरियापुर प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र पहुंचती हैं. पूछने पर कहती है की एक माह से कमर और पैर में दर्द है. उम्मीद से आई कि डॉक्टर बाबू होंगे तो दवा मिलेगी. आग पूछने पर रोने लगती है. इलाके में मौनिया देवी जैसी वंचितों का संख्या ज्यादा है.

अस्पताल में डाक्टरो की सूची पर एक भी मौजूद नहीं.

खैर, मौनिया देवी का दर्द सिर्फ दरियापुर का नहीं है बल्कि कमोवेश ग्रामीण इलाके के तमाम पीएचसी और एडिशनल पीएचसी का है. जहां न डॉक्टर, न नर्स और न ही दवा है. उस दशा में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनी चौबे कई बार बिहार में मंत्री और केंद्र में मंत्री होने का क्या मतलब ? अस्पताल में  नर्स रेणु  तो साफ शब्दों में कहती है  जब एलोपैथ के डॉक्टर साहब नहीं हैं तो दवा कैसे मिलेगी. इस अस्पताल में पिछले दो साल से डॉक्टर साहब की पोस्टिंग नहीं हुई है.

अस्पताल की अन्दर की हालत कुछ और ही बया कर रही है. डॉक्टर साहब के लिए बड़ी कुर्सी तो है, लेकिन खाली. दवा का स्टॉक निल. लेबर रूम यानी डिलेवरी रूम का हाल इंफेक्शन से भरा पड़ा. दिन दोपहरमें भी डॉक्टर साहब का दर्शन नहीं. उस दशा में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनी चौबे के बोलने का दोष या उनके विभाग के दोष ? यही है उनके पुश्तैनी गांव के अस्पताल का सच !


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