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ब्यूरो रिपोर्ट/
जमुई , अप्रैल 9 : सत्य और अहिंसा के पाठ पढने वाला भगवान महावीर के जन्मस्थली क्षेत्रिय कुंड लछुआड़ में उनके पावन जन्मोउत्सव के अबसर पर जैन धर्माम्बवालीयो द्वारा एक सादगीपूर्ण जन्म समारोह मनाया गया। ज्ञातब्य हो की 2015 में मुख्यमत्रि नितीश कुमार के लछुआड़ आने के क्रम में भगवान् महावीर के जन्म समाहरो को जिस ढंग से मनाने का निर्णय हुआ था, इस बार यहाँ बैसा कुछ भी नही हुआ। लछुआड़ जैन समुदायों के बीच काफी महत्त पूर्ण है पर आज भी भगवान महावीर का जन्मस्थली जो पहाड़ के ऊपर बिराजमान है, यात्रिओ का वहां तक पहुँचना के लिए आज भी मसक्कत करना पढता है।
जैन स्वेताम्बर सोसाइटी विरायतान बिद्यालय अपनी पारंपरिक रीती से महावीर जयंती का आयोजन प्रति वर्ष के भांति इस वर्ष भी मनाया।
2015 में नीतीश कुमार का लछुआड़ दौरा हुआ था जब बहा के मंदिर में स्थापित भगवान महावीर का 2600 साल पुराना मूर्ति चोरी हो गया था। उस घटना को लेकर काफी हायतोबा मचा था और घटना के कुछ ही दिन बाद उक्तो मूर्ति बरामद कर लिया गया था।
नितीश कुमार लछुआड़ आने से लोगो में एक उमीद जगा था कि शायद अब उस जगह का विकाश हो। कुमार उस क्षेत्र के विकास के साथ साथ वहां प्रतिवर्ष लछुआड़ मोहोत्सव मनाने की घोषणा की थी। पिछले वर्ष जमुई जिला प्रशासन के द्वारा नितीश कुमार के उक्तो निर्णय को अमलीजामा पहनाया गया था और भगवान महावीर के याद में एक भव्यों कार्यक्रम का आगाज़ भी हुआ था, बहार से कुछ नामचीन कलाकारों द्वारा एक भब्य स्नास्कृतिक कार्यक्रम इलाके में चर्चा का विषय बना था।
दुर्भाग्य के क्रम में इस बार जिला प्रशासन के द्वारा बरती गयी शिथिलता के चलते सारे अनुष्ठान पर पानी फेर गया, कोई भी कार्यक्रम हो ही नही पाया। पिछले दिन कुछ महत्तवपूर्ण निर्णय जैसे की महावीर के जीवन दर्शन के ऊपर लछुयार को केंद्रित करते हुए एक वित्तचित्र का निर्माण, महावीर तथा जैन धर्म से जुड़ा हुआ हर पहलूओ पर उच्चस्तरीय सेमिनार का आयोजन, लछुयार जो जमुई जिला के सिकेंदरा प्रखंड ने अबस्तित है , का विकाश कर पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु जो सुझाब दिया गया था, आज के दिन अप्रासंगिक हो गया। उक्त निर्णय के साथ साथ देश विदेश से जैन धर्माम्बलवालीओ को बुला कर क्षेत्र के विकाश हेतु उनलोगों से सहयोग लेने की बात भी हुआ था। पर सरकारी उदासीनता के चलते कुछ भी नही हो सका।
सनद हो की महावीर के जन्मस्थली लछुयार में सालो भर काफी संख्या में पर्यटकों का अबगमंन होता रहता है और यहाँ पर्यटन का अपार संभाबना भी है। लछुआड़ बिहार का ही नहीं बरन पुरे देश का एक अनमोल धरहर है- इसे सजना संभरना हम सभी का जिम्मेदारी भी है।
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