Change font size  -A  A  +A  ++A

खुबसूरत भीम बांध : नक्सालीओ का गढ़ था कभी!


नक्सालवाद का जनक तथा एक लाख का ईनामी कुख्यात कृष्णा का आत्मसमर्पण का आखिर वजह क्या है ?

@news5pm

July 4th, 2017

ब्यूरो रिपोर्ट /

एक लाख का ईनामी कुख्यात और मुंगेर क्षेत्र में बंदूक से  सीधे नक्सालवाद  को जोड़नेवाला कृष्णा यादव के नाटकिय  आत्मसमर्पण एक चर्चा का विषय बन गया है.

बताते चले की दो नरसंहार का आरोपित नयारामनगर थाना क्षेत्र के पाटम निवासी कुख्यात कृष्णानंद यादव उर्फ़ कृष्णा यादव  ने जुलाई 3 को एसीजेएम प्रथम जीवन लाल के न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया. जहां से न्यायिक दंडाधिकारी ने न्यायिक हिरासत में  उसे जेल भेज दिया. कृष्णा यादव पिछले 15 वर्षों से कई मामलों में पुलिस वांछित था, साथ ही साथ खुफिया विभाग को भी नक्साली घटनाओ के चलते  इसका सरगर्मी से तलाश था.  जब भी पुलिस ने इसकी गिरफ्तार करने की खातिर छापेमारी की लेकिन हर बार गोलीबारी करते हुए पुलिस को चकमा देकर भाग निकलता था.

पुलिस सूत्रों के अनुसार अर्धसैनिक बल में कार्यरत कृष्णा ने नौकरी से इस्तीफा देकर बिहार पुलिस में जवानों की नियुक्ति में दलाली का धंधा करता था. इसमें अपने सहयोगियों से मनमुटाव के बाद वह अलग थलग पड़ गया. इसके अपने आपराधिक जीवन की शुरूआत अपने ससुर के हत्यारे भूटो की हत्या से किया. भागलपुर-जमालपुर रेल खंड पर रेलवे सुरंग के अंदर श्रमिक ट्रेन से खींचकर हत्या कर दी थी. वर्ष 2006 में छठ के सुबह वाले अ‌र्घ्य के ठीक पहले कृष्णा ने बांक निवासी संजय यादव सहित रोहित यादव और अन्य तीन की गोली व बम मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद से वह फरार रहने लगा.  वर्ष 08 में होली से महज दो दिनों पूर्व क्षेत्र में अपनी दबंगता कायम रखने की खातिर कृष्ण यादव ने जमालपुर के लोहचा पाटम निवासी एक दवा दुकानदार सहित उसके भाईयों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी कर एक को मौत की नींद सुला दिया जबकि इस घटना में दो अन्य गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे.. कृष्णा की गिरफ्तारी के लिए गठित एसआईटी द्वारा हर बार छापेमारी में वह बच निकला था.  वर्ष 2006 में तो एसटीएफ के साथ मुठभेड़ के दौरान भी वह गोलीबारी करते हुए फरार रहने में कामयाब रहा था.

कृष्णा को मुंगेर क्षेत्र का नक्सालीओ का जनक माना जाता है. इलाके में बच्चा से बच्चा तक को पता था की  कृष्णा यादव को नक्सली संगठन का भी सहयोग है. “यु कहे तो मुंगेर क्षेत्र में नक्सालवाद 70 दशक में ही काफी सक्रिय था पर कृष्णा जैसा शक्श के चलते यहाँ के नक्सलियों ने ज्यादा खूखार वना,जान लेना इनका वाया हाथ का खेल वन गया,” इलके के कोई लोगो का कहना है जो कृष्णा से पुर्बपरिचित रहा है.

नक्साली विषयों में जानकारी रखनेवालो के अनुसार, कृष्णा इलके के एक विशेष जाति को नक्सल धारा से सीधे जोड़ने का काम किया, चुकी यह जाति आपनी दवंगता के चलते पहेले से ही वदनाम था, न्क्साली धरा से जुढ जाने से ओर शक्तिशाली हो गया. और नाक्साली घटानो में हिंसा आदि का शुरुयात हुआ.

जानकारों के अनुसार, 2010 में क्षेत्र में हुए एक प्रमुख नक्शाली घटना, कजरा कांड जिसमे पुलिसवालों को नक्सालियो द्वारा बंधक वना लिया गया था और वाद में एक ए.एस.आई रैंक के अधिकारी, लुकास टेटे का हत्या कर दिया गया था. पहेले क्षेत्र में नक्साली नेताओ ज्यादातर आदिवासी होता था पर कृष्णा जैसे शातिर के चलते आदिवासियो के हाथो से संगठन का लीडरशिप  छीन कर उक्त जाति विशेष के लोगो के हाथो सोपा गया. पुलिस अधिकारी टेटे के हत्या के वाद संगठन में जोरदार  विरोध का आबाज उठा और आदिवासियो का एक तबका अलग होने का कगार पर था. पर उक्त जाति का संख्या ज्यदा होने के चलते यह अपना दवदबा वनाये रखने में सफल रहे.

फ़िलहाल कृष्णा के आत्मसमर्पण की पुष्टि करते हुए एक पुलिस के वरीय अधिकारी ने बताया कि पुलिस कृष्णा को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी. उसके गिरफ्तारी से लगभग डेढ़ दर्जन मामलों (नक्साली घटानो सहित) के खुलासा होने की संभवना है.

हालाँकि इस तरह का आत्मसमर्पण का तरह तरह कयास लगाया जा रहा है. सूत्रों का कहना है की पुलिस से लुकाछिपी और जंगल से वाहर आकर कृष्णा अब समाज का मुख्यधरा में लौटने का बिचार वना रहा है. “हो भी सकता है की बह आनेवाला किसी चुनाव के लिए तैयारी कर रहा है और इसके चलते आत्मसमर्पण फ़िलहाल कृष्णा के लिए एक मज़बूरी है,” जानकारों का मानना है.

 


Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.