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लखीसराय में शहीद की अंतिम यात्रा.


शहीदो के परिजनों को मोदी से उम्मीद, सरकार और कितने दिनो तक हाथ धरे बैठे रहेगी आतंक्वाद पर ?

@news5pm

February 15th, 2019

ब्यूरो रपट /  

कोबरा बटालियन के इंस्पेक्टर रोशन कुमार की अस्थि राख अभी ठण्ड हुआ की नहीं, अंग प्रदेश की सीआरपीएफ 45वीं बटालियन के जवान रतन ठाकुर के जम्मू-कश्मीर के अवंतिपोरा हाइवे पर शहीद होने की खबर पुरे सूबे में शोक का वादल छा दिया.

उधर एक अहम सूचना आ रही है; भारत ने पाक़ से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापिस लिया है. फ़िलहाल रोशन कुमार जो सम्प्रति गया के पास शहीद हुए थे माओवादियो के हाथो, का शोक का लहर लखीसराय उवर ही नहीं पाया की, भागलपुर की रतन की शहादत पुरे अंग प्रदेश को शोक के लहर में लपेट लिया.

शहीद रतन अपनी परिवार के साथ.

प्रधान मंत्री मोदी ने पाक़ को कड़ी चेतावनी दी है, सेना को खुली छुट देने की बात की है. मोदी की यह बात लोगो को भाया है, खास कर भागलपुर के. सीआरपीएफ 45वीं बटालियन के जवान रतन ठाकुर के जम्मू-कश्मीर के अवंतिपोरा हाइवे पर शहीद होने की खबर जैसे ही पिता राम निरंजन ठाकुर को मिली, दहाड़ मारकर रोने लगे. लेकिन दूसरे ही क्षण ठाकुरों की खून खौल उठा. भागलपुर कहलगांव के अमडंडा थाना के रतनपुर के रहनेवाले रतन ठाकुर की शहादत पर न सिर्फ घर वाले बल्कि समाज को भी नाज है. शाहिद के पिता राम निरंजन ठाकुर ने रोते हुए आक्रोश में कहा अभी एक और बेटा हमने तैयार कर रखा है. इसे भी फौज में भेजेंगे. खुद आतंकी और पाकिस्तान से लड़ने के लिए तैयार हैं.  मौके पर कायराना हरकत के लिए पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगे.

शहीद रतन की वीवी .

भागलपुर और लखीसराय में दोनों शहीदों  के गांवों में मातम के बीच उनकी शहादत पर फ़क्र कर रहे लोग. पर शहीदों के परिवारों में इस दुःख की घडी में माहोल ही कुछ दूसरा ही है. बहुत जतन से रतन को पाला था. उसे पढ़ाया-लिखाया। 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ. पहली पोस्टिंग गढ़वा में हुई. धीरे-धीरे दुख कम होने लगा. एक ही होनहार सपूत था मेरा, वह भी भारत माता की रक्षा में शहीद हो गया. अब किसके सहारे जीएंगे, परिवारों में करून क्रंदन किसी की भी दिल पसीज सकता है.

आतंकियों को  भगवान कभी माफ नहीं करेंगे… यह कहते हुए कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद रतन ठाकुर के पिता राम निरंजन ठाकुर फफक पड़े. बोले-गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे रतन ने पत्नी राजनंदनी को फोन किया था. कहा था कि श्रीनगर जा रहे हैं, शाम में पहुंच जाएंगे, इसके बाद बात करेंगे. शाम चार बजे उसके ऑफिस से फोन आया और रतन का मोबाइल नंबर लिया.

शहीद रतन आ मासूम बेटा .

 

शंका हुई कि कहीं कुछ हुआ तो नहीं…. फिर छोटी बेटी नीतू से बोले कि जरा टीवी आन करो. टीवी पर आतंकी हमले की खबर चल रही थी, यह देखकर दिल बैठने लगा. रतन के बारे में जानने के लिए कमांडर को फोन मिलाया. उन्होंने कहा कि अभी कुछ नहीं बता सकते हैं. कुछ कंफर्म होगा तो बताएंगे. अब तो कोई फोन ही नहीं उठा रहा है. यह बोलते हुए वह सिसकने लगे. बताया कि मूल घर कहलगांव के अमडंडा की मदारगंज का रतनपुर गांव है. लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए शहर लेकर आ गए.

 

रतन का  चार साल का वेटा (कृष्णा ठाकुर) है. बहु गर्भवती है. एक दिन पहले जब रतन से फोन पर बात हुई थी तो उसने कहा था कि होली इस बार घर में मनाएंगे. छोटी बहन नीतू की शादी सरकारी नौकरी करने वाले लड़के से करेंगे, आप चिंता मत कीजिएगा… वह दुर्गापूजा के पहले ही घर से ड्यूटी पर गया था. निरंजन  भावुक होकर बोले- मेरा तो सबकुछ बर्बाद हो गया. रतन की मां 2013 में ही चल बसी.

स्कूल के बच्चे शहीदों को श्रधांजलि देते हुए.

रतन के चार वर्षीय बेटे कृष्णा को पता नहीं था कि उसके पिता शहीद हो गए हैं. वह अपने दादा (राम निरंजन ठाकुर) की गोद में था. पूछने पर बोला…पापा ड्यूटी पर गए हैं.

उनसे फोन पर बात हुई थी. क्या कहा था उन्होंने. कृष्णा बोला कि पापा ने कहा है सबको आप बोलने के लिए. पापा ने बहुत खिलौना दिया है. बंदूक है, गाड़ी है और भी बहुत सारे खिलौने. फिर अपने पापा की तस्वीर देखकर चहक उठा-देखिए, यही हैं मेरे पापा…


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