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मुंगेर में श्रीकृष्ण सेबसदन .
ब्यूरो रिपोर्ट /
शायद बिहार में पहली वार किसी चर्चित राजनितिक हस्ती को उचित सम्मान देने के काम किसी जिला प्रशासन के पहल पर शुरू हो रहा है. उक्त राजनैतिक हस्ती जो सूबे का मुख्यमंत्री भी रह चूका है, के जीवन दर्शन के साथ साथ उनके द्वारा इस्तेमाल किया गया सारे किताबो को संरक्षित करने के साथ साथ उक्त सभी को डिजिटलाइजेशन करने का बीरा भी उठाया गया है.

बिहार केशरी श्री बाबु.
जी हाँ , मुंगेर जिला प्रशासन ने राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री और तत्कालीन मुंगेर जिले के जिला परिषद अध्यक्ष रहे बिहार केशरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की आत्मा का केंद्र रहा श्रीकृष्ण सेवा सदन पुस्तकालय में उनके द्वारा रखी दुर्लभ किताबों को संरक्षित करने का बीरा उठाया है. साथ ही साथ श्रीबाबू द्वारा दान में दी गई दुर्लभ किताबों के डिजिटलाइजेशन का कार्य पूरा करने का बात भी कही गयी है.
मालूम हो कि राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए डॉ. श्रीकृष्ण सिंह ने श्रीकृष्ण सेवा सदन को लगभग चालीस हजार पुस्तकें दान में दी थी. इसमें भाषा, दर्शन, साहित्य, कानून, इतिहास, काव्य आदि से संबंधित हजारों पुस्तकें शामिल है. जानकारों का मानना है कि यहां कुछ ऐसी भी पुस्तकें उपलब्ध हैं जो पटना के खुदाबख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी सहित देश के अन्य हिस्सों में स्थित पुस्तकालयों में भी उपलब्ध नहीं है. जब कभी भी श्रीबाबू मुंगेर आते थे तो वे अपने फुरसत के पल सेवा सदन में ही पुस्तकों के बीच बिताया करते थे.

श्री बाबु से जुडी कुछ यादे सेबसदन में.
जिलाधिकारी, उदय कुमार सिंह जो सेवा सदन पुस्तकालय के पादेंन सचिव भी है के अनुसार, इस पुस्ताकलय में उपलब्ध सभी पुस्तकों को डिजिटल रूप में संरक्षित करने का निर्णय हुआ है. इसको लेकर कार्य चल रहा है. इसके पहले चरण में यहां उपलब्ध पुस्तकों तथा उनके लेखकों की सूची को तैयार कर उसे इंटरनेट पर उपलब्ध कराने की प्रक्रिया अंतिम अवस्था में है. दूसरे चरण में दुर्लभ पुस्तकों को डिजीटल रूप में परिणत किया जाएगा.
प्रशासन द्वारा आरंभ किए गए डिजीटलाइजेशन कार्य के पहले चरण में यहां उपलब्ध पुस्तकें तथा उनके लेखकों के नाम को आनलाईन करने के बात कही गयी है. इसके बाद पुस्तकों के पन्ने को भी इंटरनेट पर डाला जाएगा जिससे ज्यादा से ज्यादातर लोगो के बीच ये पुस्तके आसानी से उपलब्ध हो सके.
पाठको के जानकारी के लिये श्रीबाबू के द्वारा पढ्रने के क्रम में उनके द्वारा कुछ कितावो के महत्वपूर्ण लाईनों को अंडरलाइन करने की बात को भी दर्शाया जायेगा. “ इन हाई लाइटेड अंडरलाइनो से श्रीबाबू के बातो तथा उनकी मानसिकता को आसानी से समझ सकते है,” सदन की एक कर्मी का कहना है. .
सेवा सदन पुस्तकालय के अन्य एक कर्मी के अनुसार यह बिहार में पहला किसी महापुरुष के जीवन को जनमानस के बीच जागृत करने का पहला सार्थक प्रयास है. उनके अनुसार इस कार्य में धन की कोई कमी नहीं होगी और वे सभी एक बेहतर परिणाम का इंतजार कर रहा है.
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