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मुंगेर रेल हादसा : दोषी कौन – भारतीय रेल या ग्रामीण ?

@news5pm

October 24th, 2017

ब्यूरो रिपोर्ट/

ग्रामीण आज भी कितना विवश है इसका एक और उदहारण सुबह को दिखने को मिला ; एक अदत रेल ओवर ब्रिज के नहीं रहने के चलते चार चार जीवन का दुखंद अंत भले सरकार और पालिसी मेकर्स के लिए कुछ नहीं हो पर मृतकों के परिवारों पर क्या गुजर रहा है इसका पता कितने को है ?

अहले सुबह मुगेर जिले की अदलपुर गाँव से महिलायो की टोली छठ पर्व की तैयारी के लिए गंगा स्नान के लिए घर से निकली थी. इनको गाँव से तक़रीवन 17 किलोमीटर दूर मुंगेर जाना था सो इन्होने अदलपुर रेलवे हल्ट जो की जमालपुर रेलवे स्टेशन से 15 किलोमीटर पश्चिम में है, किउल की तरफ से आनेवाली श्रमिक ट्रेन की इंतजार में था. इसी बीच डाउन ट्रैक पर भागलपुर-मुजफ्फरपुर जनसेवा ट्रेन आ गई.

अनुमन कम पढ़ीलिखी और धर्मान्ध सहज सरल महिलाओ जनसेवा ट्रेन को श्रमिक ट्रेन समझ कर ट्रेन की तरफ लपक पड़ी. जनसेवा ट्रेन की तरफ जाने के लिए इन्हें आप ट्रैक  को पार करना था. ट्रेन तक पहुचने की आपाधापी में बिना सोचे समझे ट्रैक पार करना इनके लिए काल वन गया. ठीक इसी समय कुछ महिलायों को गिराते कुचलते हुए पटना जानेवाली  आप भागलपुर-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन उक्त आप ट्रैक से गुज़र गयी.

मृतक महिलाओ में से रमेश रविदास की पत्नी गीता देवी (42), किरण रविदास की पत्नी रेखा देवी (41), सतीश रविदास की पत्नी अनीता देवी (40) तथा दिलीप यादव की पत्नी भजो देवी (40) की पहचान हो गयी. 5 अन्य जो इस घटना में जख्मी हुए थे में से रुक्मिणी देवी, मनोज रविदास और झानो मांझी की स्थिति काफी नाजुक बताया जा रहा है.

 

आज ही सुबह ट्रैक पार कर रहे  विजय शर्मा (55) की मौत  बरियारपुर के पास ऋषिकुंड रेल हाल्ट में  भागलपुर जनसेवा एक्सप्रेस ट्रेन से कट कर हो गया.

सनद हो की 30 अप्रैल को शेखपुरा- लखीसराय जिले से सटे सिरारी रेल स्टेशन से तकरीवन आधा किलोमीटर दूर कौड़ीहारी नदी पर वने रेल पुल को  पैदल पार कर रहे 8 लोगो की मौत  एक मालगाड़ी से कट कर हो गया था.

घटना के विरोध में अदलपुर सहित इलाके के अन्य गांवो में से भारी संख्या में लोग आकर रेल तथा सडक मार्ग को जाम कर दिया. करीब 4 घंटो तक इलाके के रेल और सड़क पर यातायात पूर्णत ठप्प रहा. वाद में मुंगेर  जिला प्रशाशन के द्वारा 4.25 लाख रूपये की चेक प्रति मृतको के परिवारों के बीच देने के वाद और जख्मियो को समुचित इलाज के भोरोसा देने की बात होने पर रेल और सड़क जाम खत्म हुआ.

रेल एक्ट के अनुसार रेल के ट्रक्स को पार करना अपराध है और ट्रैक को पार करते हुए किसी भी दुर्घटना का जिम्मेदार उक्त ट्रैक पार करनेवाला होगा. भलें ही रेलवे एक्ट में यैसा प्रावधान हो पर बास्तविक धरातल पर यैसा घटना इस पुरे इलाका के लिए एक आम बात है. लोगो को मज़बूरी में रेल ट्रैक पार करना होता है.

 

जीआरपी के एक आला अधिकारी के अनुसार इस खंड के रेल ट्रैक पर लोगो या मबेशियो का कटना एक आम बात है. उनके अनुसार सुविधाविहीन जगहों पर इस तरह का घटना प्राय होता है. हालाकि ग्रामीणों के अनुसार रेलवे की नजरंदाज के चलते प्राय यैसी धटना होती रहती है. यक्ष प्रश्न यह है की एक सुबिधाविहीन गाँव  जो की किसी रेल ट्रैक के पास हो और उस गाँव में जहाँ एक अदत सड़क भी नहीं हो, वहां के निवासी को  अगर उस  रेल ट्रैक को पार करते हुए अपना जीवन देना पड जाये तो इसके बढ़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है ?


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