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रमन सिन्हा/
आज 31 जनवरी 2018 को बंगाली भद्रलोगों द्वारा स्थापित मोक्षदा बालिका इंटर स्कूल का ढे़ड सौ वर्ष मनाया गया. स्थानीय बंगाली समाज के प्रबुद्ध लोगो के सहयोग से पुरे बिहार में नारी शिक्षा की पहली बुनियाद इस स्कूल में डाला गया था.
पर समय के साथ बदलते हालात में मोक्षदा बालिका प्लस टू स्कूल जो बिहार का प्रथम बालिका स्कूल है , आज अतीत का गरिमा को भुला रहा है. जबकि, बिहार में नितीश सरकार नारी शिक्षा जैसे नाजुक मुद्दो को काफी उछाल रहा है. नितीश सरकार गाँव देहात में साईकिल से स्कूल जानेवाली लड़कियो के झुण्ड को सरकार की सफलता का पैमाना मान रहा है. पर हकिकत यह है कि मोक्षदा स्कूल जो बिहार के इतिहास में नारी शिक्षा की पहली नीब है, आज काफी उपेक्षित है.
सरकारी सहयोग उपेक्षा से बिहार सरकार के भूमि एवं राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल ने आज कार्यक्रम में खुद कबूला कि शैक्षणिक जगत की शान मोक्षदा स्कूल सरकारी एवं प्रशासनिक तंत्र द्वारा उपेक्षित है. हालाँकि उन्होंने सम्बधित सरकारी अफसरों को इसके लिए जिम्मेदार कहा.
ज्ञात हो कि 1868 में छात्राओं की शिक्षा हेतु Bhagalpur Girls Institute की स्थापना भागलपुर के ब्रह्म समाजी भद्रलोगों ने किया था. इसके निर्माण मेंं पांडिचेरी आश्रम के योगी अरविंद घोष के भागलपुर में पदस्थापित चिकित्सक पिता डां. कृष्ण धन घोष (के डी घोष) की भूमिका अहम थी.
प्रो. भी. ए. नारायण ने ” फीमेल एजुकेशन इन बिहार ” शोध आलेख मेंं स्कूल के 1968 मेंं प्रकाशित स्मारिका के हवाले से बताया है कि – मोक्षदा स्कूल मेंं स्थापना के प्रथम वर्ष आठ छत्राओं ने नामांकन लिया था जिसमें एक कादिम्बिनी वसु शादी के बाद कादिम्बिनी गांगुली सहित मिरजानहाट निवासी तत्कालीन स्कूल डिप्टी इंस्पेक्टर शिवशरण लाल की दो पुत्री भी थी. कादिम्बिनी , बाद में तत्कालीन ब्रिटिश भारत की प्रथम ग्रेजुएट एवं एशिया की प्रथम लेडी डॉक्टर बनकर महिला सशक्तिकरण की उदाहरण बनी.
पहली जनवरी 1896 को प्रकाशित ” दी बिहार टाइम्स ” के अनुसार समाज सेवा हेतु पटना के नबाव विलायत अली, भागलपुर के शिव चंद्र बनर्जी एवं मुगेंर के कामेश्वरी प्रसाद को “राजा” की उपाधि से नवाजा गया था.
अशोक कुमार , किशोर कुमार के परदादा और भागलपुर के गौरव राजा शिवचंद्र वनर्जी ने ही बेटी बचाओ – बेटी पढाओ के उद्देश्य से लगभग 1884 – 1885 में उस स्कूल को जमीन एवं
भवन हेतु एक बडी राशि दान में दी थी. उनकी दानशीलता के कारण ही प्रबंधन ने राजा शिवचंद्र की माता, मोक्षदा सुन्दरी के नाम पर ” Mokshada Girls School ” परिवर्तन कर दिया. और तो और श्री बनर्जी के पिता, दुर्गा चरण के नाम पर ” दुर्गा चरण प्राईमरी एवं दुर्गा चरण हाईस्कूल ” भी बना. बंगाली समाज का यह योगदान भले ही आज हम यादकर गौरवान्वित होते हैं लेकिन आज का बंगाली समाज न तो इतिहास बना पा रहा है , न ही अपने इतिहास को संवार कर रख पा रहा है। मुद्दा विचारणीय है.
हमें भूल ना चाहिए की मोक्षदा स्कूल की छात्रा और भागलपुर की बेटी कादिम्बिनी ने कांग्रेस के छठे अधिवेशन में धन्यवाद ज्ञापन किया था. भागलपुरवासी ब्रजकिशोर बसु की सुपुत्री कादिम्बिनी गांगुली ने कलकत्ता में 1890 में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के छठवें वार्षिक अधिवेशन में भारतीय महिलाओं की ओर से खुले मंच से धन्यवाद ज्ञापन किया था. इस अधिवेशन के अध्यक्ष फिरोज शाह मेहता थे.
कादिम्बिनी के धन्यवाद ज्ञापन से उत्साहित होकर एनी बेसेन्ट ने कहा था — The first women who spoke from the Congress platform , a symbol , that India’s Freedom would uplift India’s Womanhood .
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