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Arabindo SinghaRoy with his team members at a site here.
रमन सिन्हा/
अंग जनपद में जमींदोज सभ्यता के सबूत रुपी ढूह आज भी चीख चीख कर इतिहासकारों, पुरातत्वविदों, शोध छात्रों, इतिहास प्रेमियों सहित आम जनों को पुकार रहा है। पुकारने का प्रमाण यह है कि सतही जांच या मात्र कुछ फीट जांच के बाद ही एक उष्कृट सभ्यता के सबूत लगातार मिल रहे हैं।
बिहार पुरातत्व निदेशालय के पुराविद अरविन्द सिन्हा राय के शोध दल के साथ प्रो. बिहारी लाल चौधरी, डां. रजी अहमद, स्थानीय निवासी सह एस.एम.एस.प्लस टू स्कूल के प्रिंसिपल के.के.सिंह के साथ गौरीपुर से लौटने के क्रम में खेत में एक ढूह दिखाई पडा। Mound जिसे हमलोग डीह या टीला बोलते हैं वह मिला टिटही गांव के खेत में । टिटही का वर्तमान नाम बोधनगर रखा गया है। यह बांका जिला के शंभूगंज प्रखंड के परमानंदपुर पंचायत में है। पुराविद श्री राय ने अपने शोध दल के साथ खेत के ऊपरी सतह से ही बडे साईज के ईंटों को निकाला। साथ ही खेतों से पुरावशेषों भी मिला।

ढूह बांका जिला के शंभूगंज प्रखंड के परमानंदपुर पंचायत में मिला है.
पुराविद श्री राय ने बताया कि पाल या उससे पहले का ढूह लगता है। ईंटें एवं पुरावशेष बता रहा है कि यहां जीवन था । सभ्यता थी। ग्रामीणों ने भी बताया कि पास ही एक तालाब था एवं बुजुर्ग लोग बताते थे कि यहां कभी किसी राजा का किला था। ढूह के विशेष अध्ययन की जरुरत श्री ने बताई।
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