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रमन सिन्हा/
अंग महाजनपद के छिपे ऐतिहासिक सह पुरातात्विक स्थलों पर से पर्दा उठेगा और दुनिया मानचित्र पर लहरायेगा. सम्प्रति बिहार पुरातत्व निदेशालय के निदेशक सह कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त सचिव अतुल कुमार वर्मा ने एक अनौपचारिक बात चीत में कहा. निदेशक श्री वर्मा के निर्देश एवं संरक्षण में लगभग तीन माह से ऐतिहासिक स्थलों का सर्वेक्षण कर रहे पुराविद अरविंद सिन्हा राय के कार्यों की प्रगति एवं समीक्षा करने विभाग के अतिरिक्त सचिव भागलपुर वासी आनंद कुमार के साथ पहुंचे. पहुचते ही पुराविद राय को साथ लेकर साइट देखने निकल गए.
देर शाम लौटने पर निदेशक श्री वर्मा ने बताया कि मुझे गर्व है कि भागलपुर जिला क्षेत्र में पुराविद राय द्वारा 195 पुरातात्विक सह ऐतिहासिक स्थलों की पहचान कर लिया गया है. Mound यानि ढूह, जिसे हमलोग डीह या टीला भी बोलते हैं, वहां आज भी सभ्यता के सबूत मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रागैतिहासिक काल से पूर्व मध्य यानि पाल काल के प्रमाण मिले हैं. मुस्लिम काल के भी सबूत मिले हैं. 24 जून को फिर स्थलों के निरीक्षण के बाद खुदाई का प्रस्ताव सरकार को भेजेंगे.
निदेशक ने कबूल किया कि कम से कम चार से पांच ढूहों की खुदाई जरूर करवायी जायेगी. कुछ का संरक्षण किया जायेगा. ढूह बता रहा है कि विक्रमशिला से बडे ढूह मिला है जिसकी खुदाई होगी तो भागलपुर का इतिहास करवट ले सकता है. यहां मौर्य, कुषाण, गुप्त, पाल काल के प्रमाण तो मिल ही रहे हैं. आश्चर्य जनक बात यह है कि मौर्य काल से पहले प्रागैतिहासिक काल के प्रमाण भी मिला है.
वर्मा ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि भागलपुर वि.वि. के एक शिक्षक ने खुदाई एवं भागलपुर के हाल के पुरातात्विक सर्वेक्षण पर भागलपुर में ही सेमिनार करवाने की ईच्छा जताई है. विभाग आर्थिक सहयोग भी करेगा.
निदेशक वर्मा ने बताया कि नियमानुसार चिन्हित स्थलों के बारे में राजस्व सहित जमीन का विवरण जिला पदाधिकारी से मांगी जायेगी. अनौपचारिक बात में उन्होंने बताया कि प्रथम सर्वे में ही इतने ऐतिहासिक प्रमाण मिले हैं कि एक और संग्रहालय बनवाने की जरुरत पड़ सकता है.
ज्ञात हो निदेशक श्री वर्मा विक्रमशिला की खुदाई करनेवाले श्री बी. एस. वर्मा के सुपुत्र हैं. जिन्होंने भागलपुर से ही स्कूली एवं कालेज की शिक्षा पायी है. तभी तो 1810 – 11 ई. में फ्रांसिस बुकानन के बाद भागलपुर का विस्तृत सर्वेक्षण कराया.
वताते चले कि भागलपुर पहले से ही विक्रमशिला की आधीअधूरी खुदाई होने का इंतजार कर रहा है. विक्रमशिला चुकी एक अंतराष्ट्रीय धोरोहर है और पुरे दुनिया का नजर इसकी ऊपर टिकी हुई है इसकी खुदाई होना काफी अवश्यक है. हालाँकि वर्मा द्वारा उठाया गया प्रयास काफी हद तक भागलपुर और समसामोयिक इतिहास के लिए एक मील का पत्थर होगी. और इस वाहने शयद विक्रमशिला का भी कल्याण हो जाये!
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