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निशु जी लोचन/
भागलपुर : ये खबर हर शहरवासियों के लिए है जो अपने बच्चों के प्यार में अंधे हो जाते हैं . जी,… मेरा इशारा अंधेपन से ही जुड़ा है . शहरी आबादी का वह तबका जिसे बच्चों को पढ़ाने कि चिंता तो रहती है लेकिन अनजाने में जो गलतियाँ हो रही है उससे न केवल उनका बाल गोपाल अँधा हो सकता है बल्कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर भी हो सकता है .
न्यूज़ 5 पीएम की टीम ने भागलपुर के प्राइवेट स्कूलों का सर्वे किया जिसमे एक बात जो निकल कर आई उसमे 100 बच्चों में 35 बच्चों की आँखों में ज्यादा पावर का चश्मा लगा था . और उन स्कूली बच्चों में छोटा और बड़ा दोनों शामिल दिखा . स्कूल प्रबंधन मानती है कि आने वाला समय खतरनाक और चुनौती भरा है . विसुअल मिडिया में चाहे टीवी हो, कम्पूटर हो या फिर एंड्राइड मोबाइल हो , नॉलेज पवार बढ़ाने में मदद् तो करती है लेकिन उसके आगोश में मासूम की मासूमियत छीन जाय तो कल के समाज में उनकी भूमिका शायद बेहतर नहीं मानी जा सकती . संत जोसफ स्कूल भागलपुर के प्राचार्य फादर वर्गीश पणनघट भी इस बात को मानते हैं . नेट फ्रेडली, एंड्राइड और कंप्यूटर फ्रेंडली होने का यह मतलब नहीं की आप बढ़ते उम्र के साथ ब्रेन ट्यूमर का मरीज हो जाएँ और हमेशा के लिए आपके आँखों की रौशनी समाप्त हो जाय . भागलपुर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ संजय कुमार वैसा मानते हैं . डॉ साहब माध्यम वर्गीय परिवार के गार्जियन को ज्यादा दोषी मानते हैं . सच तो यह भी है बच्चों के गार्जियन भी अपने बच्चों के साथ ज्यादा इमोशनली जुड़े रहने के कारण आँख कि रौशनी जाने वाले कारणों को नजर अंदाज कर जाते है . और पता तब चलता है जब वह मासूम बगैर चश्मे के देखने से लाचार हो जाता है . जिजाह हुसैन जो गार्जियन भी है तमाम बातों से इत्तेफाक रखते हैं . अगर आप जागरूक गार्जियन है तो ये रिपोर्ट आपको सचेत कर रही है विकास के अंधे दौर में बच्चों को अँधा बनाने से बचें .
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