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निशु जी लोचन/
आपको सुनकर अचरज होगा लेकिन बातें सच है . बिहार में मोती की खेती हो रही है . और वह खेती बेगुसराय बलिया के एक किसान कर रहे हैं . कृषि विज्ञानं केंद्र खगड़िया के कृषि वैज्ञानिक डॉ ब्रजेन्द्र कुमार ने बताया की मोती का उत्पादक किसान ने अपने स्तर पर शुरू
किया है. तकनिकी सहयोग कृषि विज्ञानं केंद्र खगड़िया ने जरुर दिया है लेकिन बिहार जैसे जल प्रचुरता वाले राज्य में अगर मीठे जल में भी मोती उत्पादन कि सम्भावना दिखी है तो बिहार के लिए एक नई खेती की शुरुआत मानी जा सकती है . और वैसा हो सकता है क्योंकि बिहार सरकार और भारत सरकार ने पहले से ही समेकित कृषि प्रणाली के तहत तालाब बनाने कि सुविधा किसानों को उपलब्ध कराया है . भागलपुर सबौर के बिहार कृषि विवि में आयोजित किसान मेला में लगी मोती की प्रदर्शनी के दौरान ये बातें सामने आई हैं . अगर नितीश कुमार जापान के निवेशकों से वार्तालाप कर रहे हैं तो मोती उत्पादन कि तकनीक भी बिहार को धनवान बना सकती है . चुकि बिहार भर के छोटे और बड़े ज्वेलरी दुकानों में सालाना अगर करोड़ों रूपये की मोती का आयात उड़ीसा और हैदराबाद से होता है तो वह रुपया बिहार के किसानो की झोली में भी जा सकती है. ज्वेलर्स भी मानते हैं की अगर बिहार में मोती कि खेती व्यावसायिक रूप से होती है तो मोती उत्पादक किसानों के लिए बाज़ार पहले से मौजूद मिलेगा . कृषि विज्ञानं केंद्र खगड़िया के कृषि वैज्ञानिक डॉ ब्रजेन्द्र कुमार ने तमाम तकनिकी पहलुओं पर बताया कि कम लागत पर एक ही तालाब में मछली उत्पादन के साथ साथ मोती का भी उत्पादन किया जा सकता है .
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