Change font size -A A +A ++A
शिव शंकर सिंह पारिजात/
‘सिल्क सिटी’ के नाम से विख्यात भागलपुर प्राचीन काल में ‘अंगभूमि’ कहलाता था जो हिंदू, मुस्लिम व बौद्ध धर्मों के साथ-साथ अन्य सभी धर्मों की समन्वय-स्थली है जहाँ सभी लोगों के बीच एक अद्भुत सद्भाव तथा समन्वय का भाव है। होली-दशहरा व ईद-बकरीद सरीखे पर्व-त्योहारों के अवसर आपसी भाईचारे का यह जज्बा पूरे निखार पर रहता है जब मजहबी बंदिशों को भूलकर सभी हर्ष और उल्लास के रंग में डूब जाते हैं। गंगा तट पर बसे इस ‘सिल्क सिटी’ के रेशमी धागों में यहां का कौमी सद्भाव दम-दम दमकता है जिसमें अगर ताना भरने वाला हाथ किसी मुस्लिम का होता है तो बाना लगानेवाला हाथ किसी हिंदू का होता है।
भागलपुर की यह गंगा-जमुनी संस्कृति सदियों पुरानी है जिसके जीते-जागते गवाह यहां के ऐतिहासिक धरोहर व अनगिनत मंदिर, मस्जिद और मकबरे हैं। एक ओर यहां सुलतानगंज का उत्तरवाहिनी गंगा तट पर स्थित अजगैबी नाथ मंदिर है, जहां से विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला प्रारंभ होता है तो दूसरी ओर भागलपुर स्टेशन के करीब खानकाह शहबाजिया है जिसकी शाही मस्जिद सदियों से आपसी सद्भाव का मिशाल बना हुआ है जहां हर कौम के लोग आकर अपना सिर झुकाते हैं। इसी तरह यहां बाबा बूढ़नाथ मंदिर, मनसकामना मंदिर और बटेश्वर नाथ मंदिर है जो हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है, दूसरी ओर मुस्लिम भाईयों के ईबादत गाह शाहजंगी, खलीफाबाग की शाही मस्जिद व घूरन पीरबाबा स्थान भी है। एक तरफ चंपानगर में जैन धर्मावलंबियों का महत्वपूर्ण तीर्थ 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य की पंचकल्याणक भूमि है, तो दूसरी ओर कहलगाँव में सुप्रसिद्ध विक्रमशिला बौद्ध महाविहार अवस्थित है जो महत्वपूर्ण बौद्ध आचार्य दीपंकर की कर्म व जन्मस्थली है।
इस तरह सिल्क सिटी भागलपुर अपने आगोश़ में हर धर्म और कौम को बड़े प्रेम से सहेजकर रखा है जो रमजान के अवसर पर खुलकर मुखर हो उठता है जब हिंदू और मुस्लिम प्रेम से गले मिलकर एक दूसरे को पर्व की मुबारकबाद देते हैं।
Leave a Reply