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निशु जी लोचन/
बारिश का मौसम- हरियाली और झूमते लहराते हुए खेतो में फसल जहाँ मन को सकून देता है वहीं यह मौसम भागलपुर तथा आसपास के इलाके के लिए अभिशाप बन कर आता है. प्रलयकारी बाढ़ और तवाही का मंजर यही नियति बन जाता है इलाका का. और गंगा जिसे जीवनदायिनी कहा जाता है, विनाश लीलाशुरू कर देती है जैसा की 2016 में की थी. गंगा का इस तांडव रूप के पीछे का सच बहुत ही मार्मिक है- नेचर के साथ छेड़छाड़ करने के कारण गंगा नदी अपनी स्वभाव भी बदल लेती है.
बिहार में हिमालियन रेंज से निकलने वाली नदियों का मलवा ढोने वाली गंगा में लगातार जमा हो रहे सिल्ट के कारण इस बार भी बाढ़ , भीषण तबाही ला सकती है. पिछले साल के अनुभव से राज्य सरकार इस बार भी अलर्ट मोड में दिख रही है. सीएम बिहार के प्रधान सचिव ने भागलपुर समेत अन्य बाढ़ प्रभावित जिलों के अधिकारियों के साथ गहन मंथन कर बताया कि नदियों में लगातार गाद यानी सिल्ट के जमे रह जाने की वजह से बाढ़ की प्रवृत्ति और प्रकृति बदल सी गयी है. नेपाल के मानसूनी बारिश से खतरा तो है ही साथ में सिल्ट का जमाव बाढ़ से तबाही का बड़ा कारण बनती जा रही है.
बिहार में कुल 1,43,961 किलोमीटर फ्लड प्लेन ज़ोन है और हर साल उन इलाकों में नेपाल से निकलने वाली नदी, गंगा नदी में मिलाकर तबाही ला रही है. पिछले 10 वर्षों के अनुभव को देखें तो बाढ़ से तबाही का वैसा आलम कम दिखता था. लेकिन अब जो बाढ़ की भीषण तबाही का तांडव रूप सामने आने लगा है उसकी वजह कैरी रीभर गंगा में भयानक रूप से गाद ( सिल्ट) का जमाव है. बिहार सीएम के प्रधान सचिव चंचल कुमार ने बताया कि सरकार की तैयारी जरूर है मगर प्राकृतिक आपदा में किसी का जोर नहीं चलता. केंद्र सरकार से भी आपदा राहत के लिए राशि मांगी गई है स्वीकृति मिली पर आवंटन नहीं मिला है.
आने वाले समय मे बाढ़ के मातहत तैयारी की समीक्षा करने, राहत शिविर को तैयार रखने, तटबंधों पर नजर रखने, नदी कछार वाले इलाके से आबादी को शिप्ट करने और कोशी एवम गंगा नदी के बहाव वाले इलाकों पर विशेष नजर रखने की हिदायत विशेष तौर पर अधिकारियों को दिया गया. चंचल कुमार ने बताया की केंद्र सरकार को कई बार फ्लड और सिल्ट मैनेजमेंट को लेकर चिट्ठी लिखी गयी है. राहत राशि के लिए भी लिखा गया है. हवाई सर्वे के माध्यम से गंगा के बहाव वाले इलाके में दौरा भी कराया गया है , लेकिन बात अभी तक नहीं बन पाई है.
गत वर्ष जो भागलपुर इलाके में एक माह तक बाढ़ का तांडव रहा उसने शहरी और ग्रामीण आबादी को भयानक रूप से तबाह किया था. नौगछिया में कोर्ट और पुलिस बाढ़ से तबाह हुए थे. और वैसा इसलिए हुआ था क्योंकि गंगा के गाद के कारण बहाव की क्षमता नहीं थी. इलाके के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी फैल गया था. फ़रक्का बांध के गेट का सिल्ट से जाम होना भी बड़ा कारण रहा था . अधिकारी भी अब कह रहे है की पता नहीं इस बार क्या होगा. प्रशासन के तरफ से कह जा रहा है तैयारी जारी है !
बड़ी निराशाजनक स्थिति है। जनता क्या करे?