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राजनीतिक नारों से नहीं, दूध के खुद की शक्ति से होगी गौरक्षा

@news5pm

April 24th, 2017

शिव शंकर सिंह पारिजात/

इन दिनों भारतीय धर्म, संस्कृति और आस्था की प्रतीक गाय, जिसे ग्रंथों में पूजनीय बताया गया है तथा जिसके प्रति आम भारतवासी की अटूट श्रद्धा है, की रक्षा के नाम पर पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है। कुकुरमुत्तों की तरह जगह-जगह पर पनपे स्वयंभू गौरक्षकों के दलों के उत्पातों के समाचार अखबारों व मीडिया की सुर्खियां बनती रहती हैं।

 

पर अबतक के रिजल्ट पर नजर डालें, तो बिल्कुल सिफर। राजनीतिक शोर-शराबे में गौमाता की रक्षा, सुरक्षा तथा उनकी बेहतरी का मुद्दा मानों कहीं दबकर रह गया है। निहित स्वार्थों के वशीभूत होकर हमने सदियों से एक माँ की तरह  हमारा पोषण करनेवाली इस राष्ट्रीय पशु को बेचारगी के परले हद तक पहुंचाकर उसका अपमान करने के सिवा और कुछ न किया।

पर मानव-सभ्यता के आविर्भाव के समय से हमारी रगों में शक्ति व ऊर्जा भरनेवाली हमारी यह सनातन माता इतनी निरीह तथा कमजोर नहीं, जितना कि हम समझ बैठे हैं। कमजोरी तो हमारी समझ, तत्परता और निष्ठा में है जो हम गाय की शक्ति के मुतल्लिक शुतुरमुर्ग की तरह आँखे जमीन में गाड़कर नासमझ बने हुए हैं। गौरक्षा के मसले का हल राजनीतिक नारों से नहीं वरन् खुद दूध की उस शक्ति से होगा जिसमें स्वस्थ व निरोग जीवन के राज छिपे हैं। बस जरूरत है उसकी इस शक्ति के संदेश को जन-जन तक पहुँचाकर जागरूकता लाने की। लोग तो खुदबखुद इसकी रक्षा-संरक्षा से धर्म, कौम तथा सम्प्रदाय की भावनाओं से उपर उठकर जुड़ते जायेंगे।

 

हालिया अनुसंधान परिणामों के फलस्वरूप देशी गाय का दूध जिसे तकनीकी भाषा में ‘ए2 मिल्क’ कहते हैं, विश्व स्तर पर ‘हेल्थ’ का ‘लेटेस्ट ब्रांड’ बनकर उभर रहा है जिसके कारण छोटी-छोटी डेयरी फार्मों से लेकर अमूल जैसी बड़ी कंपनियां इसकी मार्केटिंग के क्षेत्र में उतरने लगे हैं।

 

बाजार में उपलब्ध अधिकांश दूध ‘ए1’ श्रेणी की होती है जो कि विदेशी नस्ल अथवा क्रासब्रीड से मिलती हैं। अध्ययन बताते हैं कि ए1 दूध के सेवन से जहां शरीर में सूजन की संभावना होती है, वहीं डायबिटीज व हृदय रोग रोग का भी खतरा रहता है। वहीं ए2 मिल्क अर्थात देशी गाय का दूध माँ के दूध के समान होता है जो अत्यंत पुष्टकारक व सुपाच्य होता है।

 

देशी गाय के दूध की खासियतों के कारण विश्व स्तर पर इसकी मांग बढ़ती जा रही है। एक विश्वश्त रिपोर्ट के अनुसार सिडनी के एक  ए2 दूध कंपनी के प्रोडक्ट की मांग पूरी दुनिया में बढ़ती जा रही है। अपने देश में अमूल जैसी कंपनी ने ए2 जैसे नये प्रोडक्ट के प्रति रुझान दिखाते हुए अहमदाबाद में देशी गाय के दूध के प्रीमियम प्रोडक्ट को लांच किया है और अब इसे सूरत के मार्केट में ले जा रही है। देशी दुग्ध उत्पादकों के छोटे किंतु प्रगतिशील समूह भी इसमें अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं।

देशी गाय के दूध की इस जीवनदायिनी शक्ति के कारण इसकी बढ़ती मांग और फैलते बाजार खुलकर ये संदेश दे रहे हैं इस दूध के अंदर खुद की इतनी शक्ति छिपी है कि ये न सिर्फ खुद की, वरन् हम सबकी रक्षा करने की माद्दा रखती है। जरूरत है राजनीति के चश्मे को उतारकर पूरी संजीदगी व सहानुभूति के साथ मसले को देखने की। हमें सड़कों पर डंडे पटकने व गला फाड़कर नारे लगाने की बजाय गोहालों में जाकर गौमाता की हो रही दुर्दशा को देखना होगा, तेजी से समाप्त हो रही देशी गाय के नस्लों की सुधि लेनी होगी, चारों के अभाव में प्लास्टिक खा-खाकर दम तोड़ती गायों की रक्षा करनी होगी, तेजी से इतर कार्य हेतु बंदोबस्त होती गोचर भूमि को बचाना होगा। क्या हमने ऐसा भी कभी सोचने का कष्ट किया है कि राशन दूकानों की तरह गांव-गांव में पशुचारे की भी दूकानें हों। इंसानों की तरह गायों की भी अकाल मृत्यु होने पर उनका पोस्टमार्टम हो जिससे पता चले कि मृत्यु पोलिथिन के कारण तो नहीं हुई, ताकि पशु संरक्षण के नाम पर सैलरी भोगने वालों की खबर ली जा सके।

 

यदि हमारे हुक्मरान, राजनेता, नीति नियामक, सोशलाइट तथा खुद हम-आप गाय को सही मायने में माता मानकर गंभीरता से कुछ किये होते तो आज ये नौबत नहीं आती। यदि गौसंरक्षण की दिशा में कदम ईमानदारी से उठे , तो न सिर्फ गौमाता का खोया सम्मान वापस आयेगा वरन् राष्ट्रीय स्वास्थ्य को भी नयी मजबूती मिलेगी।


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