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स्मार्ट सिटी भागलपुर का जमीनी हकीकत !


संदर्भ : स्वच्छ सर्वेक्षण,2017// शुक्र है Dirty Picture बनने से बच गया Smart City भागलपुर!

@news5pm

May 6th, 2017

शिव शंकर सिंह पारिजात/

 

भागलपुर : कुल 4 लाख 10 हजार 210 की शहरी आबादी वाला बिहार के तीसरे बड़े शहर में शुमार स्मार्ट सिटी भागलपुर ने हालिया ‘स्वच्छ सर्वेक्षण, 2017 में देश के 400 शहरों में 275 वें स्थान पर घोषित किया गया है, जबकि पड़ोस का किशनगंज 257 वें पायदान पर है। 146 वें स्थान अपनी उपस्थिति दर्ज कर बिहारशरीफ ने राज्य के शीर्ष स्वच्छ नगर बनने का गौरव हासिल किया है।

देश के स्वच्छता-मैप पर भागलपुर की यह निराशाजनक स्थिति यहां के प्रबुद्ध नागरिक व बुद्धिजीवी, जिन्होंने ‘स्वच्छ-सुंदर’ और ‘हरे-भरे’ भागलपुर की उम्मीद पाल रखी थी, को आंतरिक निराशा हुई है जिसे वे सोशल मीडिया पर खुलकर बयां कर रहे हैं। नगर के प्रबुद्ध नागरिक बुजुर्ग मुकुटधारी अग्रवाल कहते हैं: हर महीने नगर निगम शहर की सफाई के नाम पर लाखों रूपये खर्च करता है, सफाई के नाम पर लाखों रुपये के संयंत्र खरीदकर नगर निगम के गोदामों की शोभा बढ़ा रहे हैं, सफाई के ठेकेदारों की चांदी कट रही है, डम्पिंग ग्राउंड की तलाशी की नौटंकी जनता पिछले कई वर्षों से देख रही है। श्री अग्रवाल आगे कहते हैं: शहर के सड़कों की सफाई नियमित रूप से नहीं होती है, गलियों में कूड़ों के अम्बार लगे रहते हैं, नालियों का गंदला व बदबूदार पानी सड़कों पर बहता है, जैन मंदिर रोड पर पिछले एक साल से नाली के पानी का जल-जमाव है….वगैरह-वगैरह।

भागलपुर स्मार्ट सिटी का ह्रदय स्थल !

 

भले ही भागलपुर शहर की इन जमीनी सच्चाईयों की सोचकर स्वच्छ-सुंदर स्मार्ट सिटी का सपना देखनेवालों को निराशा हुई हो, पर देश के Dirtiest घोषित City गोंडा की स्थिति से भागलपुर की तुलना करने पर इस बात से तो जरूर राहत मिलती है कि शुक्र है कि भागलपुर देश का दूसरा Dirty Picture बनने से बच गया। क्योंकि अगर गोंडा की सफाई-स्वच्छता की स्थिति से स्मार्ट सिटी भागलपुर की तुलना करें, तो हालात मिलते-जुलते से नजर आते हैं।
मीडिया में आये रिपोर्टों के अनुसार गोंडा शहर में प्रवेश करते ही बस स्टेशन पर कचरों का अम्बार आगंतुकों का स्वागत करता है। शहर की प्रमुख नालियां प्लास्टिक से अंटे पड़े हैं। गंदगी से भरे तालाब कीड़े-मकोड़ों-मच्छरों के स्वर्ग बने हुए हैं। अभी तक वहां के अधिकारी कचरा-निष्पादन हेतु महज दो हेक्टेयर जमीन की व्यवस्था नहीं कर पाये हैं। सफाई कर्मियों की मनमानी पर कोई अंकुश नहीं और पब्लिक को भी जहाँ-तहाँ कूड़ा-कचरा व प्लास्टिक फेंकने से कोई परहेज़ नहीं। शहर में न तो कोई कूड़ा-घर है, न तो सार्वजनिक डस्टबिन है और न ही चुनिंदा मुहल्लों को छोड़कर घर-घर कूड़ा-संग्रह की व्यवस्था ही। तीन वर्ष पूर्व प्रशासन द्वारा भेजा गया Sewage System का proposal यूपी ioजल निगम में पड़ा धूल फांक रहा है। लिहाजा सफाई-सर्वेक्षण के तीनों प्रमुख मापदंडों – कूड़ा-प्रबंधन, नागरिकों के फीडबैक और सर्वेक्षकों के निरीक्षण – पर गोंडा की स्थिति दयनीय रही। वहाँ की नगरपालिका लाख प्रयत्नों के बावजूद कूड़ा-प्रबंधन में 900 में मात्र 56 अंक हासिल कर पाई जबकि Citizen Feedback में इसे 600 में 192 अंक मिल पाये।

रविन्द्र भवन- स्मार्ट सिटी भागलपुर का एक ओर विरासत.

 

 

गोंडा की उक्त भयावह स्थिति पर भागलपुर स्मार्ट सिटी ईमानदारी से आत्मचिंतन व आत्ममंथन कर स्वच्छता के ऊंचे पायदान को हासिल कर सकता है क्योंकि उसके पास ऐसे कार्यों के लिये इफरात फंड है, स्मार्ट सिटी योजना केतहत सम्यक ‘पावर’ है और काबिल अधिकारियों की ‘टीम’ है। अपनी कमियों का आकलन और दूसरे की सफलता से प्रेरणा लेकर ही कोई सफलता के मुकाम को हासिल कर सकता है। बात यदि स्वच्छता सर्वेक्षण,2017 में देश में सर्वोच्च स्थान पानेवाले इंदौर की बात करें तो ऐसा नहीं कि वहां के अधिकारियों ने कोई हवाई किला बनया, वरन् व्यहवारिक स्तर पर छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख पूरी संजीदगी से अमल में लाया।

पिछले साल देश में इंदौर का स्वच्छता रैंक 25 वां था, तो सबसे पहले उसने देश में सर्वोच्च स्थान हासिल करने की ठानी। फिर वहां वृहत सफाई अभियान व जागरूकता अभियान शुरू किया गया। कारपोरेशन के अधिकारियों-कर्मचारियों को छुट्टी लेने से परहेज करने की हिदायत दी गई। सार्वजनिक स्थानों की गंदगी रोकने लिये बच्चों के ‘डब्बा गैंग’ बनये गये। खुले में शौच को रोकने के लिये छात्रों की ‘वानर सेना’ बनाई गई जो ऐसे लोगों के लोटे लेकर भाग जाते थे। इसी तरह गंदगी फैलाने वालों के विरूद्ध ‘रोको-टोको टीम’ भी बनाई गई। वृहत् जागरूकता अभियान के साथ जहाँ-तहाँ कूड़ा-कचरा फेकनेवालों पर पेनाल्टी के भी प्रावधान किये गये। सफाई कर्मियों की नकेल कसी गई। वृहत् पैमाने पर निजी व सार्वजनिक शौचालय बने। कचरा निष्पादन व Waste Management की कारगर व्यवस्था की गई। आदि-आदि।

मतलब ये कि ऐसे कदमों को ईमानदारी से थोड़ा भी मन बना ले, तो भागलपुर स्मार्ट सिटी भी प्रभवी ढंग से अमल में ला सकता है। स्मार्ट सिटी के नाम से branded भागलपुर शहर के निवासी अपने हुक्मरानों से इतनी तो उम्मीद कर ही सकते हैं।


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