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सोशल मीडिया को लेनी होगी सोशल रिसपांसिबिलिटी

@news5pm

April 15th, 2017

शिव शंकर सिंह पारिजात/

हाल के दिनों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय व स्थानीय घटनाओं पर सोशल मीडिया की सक्रियता और उसके बहुआयामी प्रभावशीलता से बढ़ती सरकारी महकमों की परेशानियां यह दर्शाती है कि यह सिर्फ मनोविनोद का साधन मात्र नहीं रह गया है। वरन् इसकी धार  समाज के अंतरतम को भी छूने लगी है। लिहाजा इसके यूजर्स को इससे सकारात्मक प्रभाव के साथ नकारात्मक पहलूओं पर संजीदगी से सोचना होगा, अन्यथा ये उनकी परेशानी का सबब बन सकता है और वे कानूनी पचड़े में भी पड़ सकते हैं।

 

 

 

भागलपुर के डीएम व एस एस पी ने कल 14 अप्रैल को एक संयुक्त आदेश जारी कर कहा है कि किसी भी धर्म के नाम पर भावनाओं को आहत करनेवाले पोस्ट किसी भी ग्रुप में डाले जाने से समाज में तनाव की संभावना रहती है। ऐसे पोस्ट करने या किसी अन्य ग्रुप को फारवर्डकरने पर आईटी एवं आईपीसी की सुसंगत धाराओं के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी और ग्रुप एडमिन की जिम्मेवारी भी तदनुरूप निर्धारित की जायेगी। इसके ठीक पहले झारखंड के दुमका जिला प्रशासन ने भी इसी आशय का संयुक्त आदेश निकाला था जिसकी उपादेयता को देख यहाँ भी रातोंरात यह कदम उठाया गया।

भागलपुर व झारखंड के दुमका जिला प्रशासन द्वारा जारी संयुक्त आदेश।

 

इस संयुक्त आदेश में यह स्वीकार किया गया है कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अत्यंत  महत्वपूर्ण है, लेकिन अक्सरहां कतिपय ऐसे तथ्यहीन संवाद जारी किये जा रहे हैं जिनकी सत्यता प्रमाणित नहीं होती है।इसके मद्देनजर प्रशासन ने सोशल मीडिया के व्हाट्सएप व फेसबुक ग्रुप एडमिन के खिलाफ सात बिंदुओं पर सख्त निर्देश जारी किये हैं। ग्रुप के एडमिन वही बनें जो पूर्ण जिम्मेदारी तथा उत्तरदायित्व का वहन करने में सक्षम हो व अपने ग्रुप के सभी सदस्यों से परिचित हो। गलतबयानी या ऐसे अपुष्ट समाचार जो अफवाह बनकर सामाजिक समरसता बिगाड़ सकते हो  ऐसे पोस्ट का खंडन करने के साथ दोषी सदस्य को हटाने की कार्रवाई हो।

पिछले 9 अप्रैल को भागलपुर के मोजाहिदपुर थाना क्षेत्र के बाल्टी कारखाना चौक के पास स्थिति एक धार्मिक स्थल पर असामाजिक तत्वों के द्वारा आपत्तिजनक सामग्री फेंके जाने से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिये जिला प्रशासन ने ऐहतियिती कदम उठते हुए सोशल मीडिया पर नकेल कसने हेतु इंटरनेट को ब्लॉक करा दिया गया था जिसपर news5pm  ने प्रश्न उठाया था कि “क्यों अक्सर कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है सोशल मीडिया को” ? इस पोस्ट में हमने सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलुओं के साथ नेट बंद करने से होनेवाले दुश्वारियों की चर्चा की थी जिसका संज्ञान हालिया संयुक्त आदेश में लिया गया। प्रशासन का यह रूख सराहनीय है।

इस संयुक्त आदेश का मजमून इतना तो जरुर संकेत देता नजर आ रहा कि सोशल मीडिया की महत्ता का सम्मान करते हुए हिदायतें दी गई है। पर इसे इम्प्लीमेंट करनेवाले इस डेलीगेटेड पावर का गलत इस्तेमाल न कर पायें, आला अधिकारियों को संजीदगी से ध्यान रखना होगा। और सोशल मीडिया को भी अपने सोशल रिसपांसिबिलिटी के प्रति सजग तो रहना पड़ेगा ही।


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