Change font size  -A  A  +A  ++A

बालिका वधू बनी छात्राऐ एक स्कूल में.


दो साल में कम हुई बालिका वधू बनी छात्रा की संख्या ; नीतीश सरकार का जोर आजमाइश शायद फायदामंद हो आगे चलकर !

@news5pm

October 10th, 2017

निशु जी लोचन /  

 

बाल विवाह और दहेज मुक्त समाज की बात तो दशकों से है लेकिन  नीतीश सरकार की नई जोर आजमाइश का फायदा क्या होगा… यह तो समय बतायेगा …अभी समय के गर्त में है.

लेकिन आज से  2 साल पहले जिले में  बालिका वधू से जुड़ी बाते कुछ अलग दिखाई देती थी. किसी भी बालिका स्कूल में जाकर जाँच पड़ताल करने से चौकाने वाली  बाते सामने आता था. बेहद चौकाने वाला सच हुआ करता था. भागलपुर शहर में एक ऐसे  बालिका स्कूल में नौवीं, दशमी, ग्याहरवीं और बारहवीं कक्षा में कुल 2700 लड़कियों में से 170 लड़कियां बालिका वधू थी. लेकिन ठीक दो साल बाद आज  वह घटकर 20 से 25 हो गयी. है ना चौकने वाला तथ्य !

एक यैसा स्कूल में  नौवीं क्लास की छात्रा सोनी अपने सहेलियों से कह रही है कि उनसे गलती हो गई है. आपलोग मम्मी पापा को समझा लेना. 18 साल के पहले शादी मत करना. सहेलियां भी हाँ में हाँ मिलाती हैं. “मै मजबुर थी, घर से पापा मम्मी का दवाव था पर तुम हिम्मत से खड़ी रहना, चाहे कुछ भी हो 18 के वाद ही शादी करना और कोशिश करना पढाई पूरी करने की,” सोनी भावूक होकर कह रही थी.

इसी स्कूल की छात्रा ममता, कंचन, अंकिता और सोनल जैसी छात्राएं मम्मी और पापा के दवाब में बालिका वधू बन गई हैं. इनलोगों को यह मालूम है कि कम उम्र में शादी जीवन की बर्बादी है, लेकिन मम्मी-पापा के आगे लाचार हैं. छात्रा पुष्पांजलि कहती हैं कम उम्र में शादी समाज की अगली पीढ़ी के लिए नुकसानदेह है. “समाज में आज भी पुरानी बाते रह गयी है, युवाओ को आगे आना होगा, बिना इस सिस्टम को वदले कुछ होने को नहीं है,” पुष्पांजलि कहती है.

अब भले नौवीं और दशमी में पढ़ने वाली शादी शुदा लड़कियों की संख्या कम हो लेकिन दो साल पहले वह संख्या 170 थी. स्कूल की प्रिंसिपल आभा कुमारी सिन्हा कहती हैं कि शुरुआत कुछ टीचरो के द्वारा किया गया  था और स्कूल में प्रार्थना के वक्त लड़कियो को याद दिलाया जाता है, कभी क्लास में तो कभी राष्ट्रगान के बाद. उसका असर भी दिखा, कहती है  आभा कुमारी सिन्हा, प्रिंसिपल, राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, नाथनगर, भागलपुर.

दरअसल बालिका वधू के पीछे की कहानी में घर परिवार का हाथ होता है. उन बेटियों के माता पिता होते हैं. न्यूज़ 5पीएम  तो भागलपुर से एक इशारा किया है. कमोवेश जिन इलाकों में नासमझी, अशिक्षा और गरीबी ज्यादा है वहां बालिका वधू भी है और दहेज दानव बनकर बेटियों को जलाकर मार रही हैं.

नितीश कुमार का संकल्प को हम सभी को तह दिल से समाज में लागु करवाना होगा, इसमें हम सभी की  भलाई है, सोशल एक्टिविस्ट शवाना दाउद कहती है.


Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.