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ब्रजेश वर्मा/
विनोद खन्ना के आज गुजर जाने से हर उस इंसान को दुःख हुआ होगा जिन्होंने
उनकी फ़िल्में देखी होंगी.
सत्तर के दशक की शुरुआत में विनोद खन्ना की एक फिल्म आयी थी मेरे अपने.
उनके साथ किरदार में थे शत्रुहन सिन्हा. लेकिन इन दोनों के बीच सबसे बड़ी
अदाकारा मीना कुमारी इस फिल्म में थीं जिनकी यह अंतिम फिल्म थीं और
जिसमें उन्होंने नानी माँ की भूमिका निभा कर दोनों नए कलाकारों को अमर कर
दिया था.
विनोद खन्ना ने इस फिल्म में एक पढ़े लिखे जिस बेरोजगार इंसान की भूमिका
निभाई वह दरअसल भारत में 70 के दशक में बेरोजगारों का राजनीतिक इस्तेमाल
का सही चित्रण था, जिसे बाद में अमिताभ बच्चन ने कई फिल्मों में अपनी
तरह से जीया.
इसलिए यहाँ यह जिक्र करना ठीक नहीं कि विनोद खन्ना ने अमिताभ के साथ उनके
सहायक के रूप में अमर अकबर एंथोनी आदि आदि फिल्मों में काम किया.
दरअसल जो लोग आज विनोद खाना के गुजर जाने पर उनकी समीक्षा कर रहे हैं वे
यह नहीं जानते कि विनोद खन्ना क्या चीज थे.
आपने भारत में डाकुओं पर बजी दर्जनों हिंदी फिल्मे देखीं होंगी-लोग सिर्फ
शोले में गब्बर सिंह (अमजद खान) की या फिर सुनील दत्त, प्राण, कबीर बेदी,
धर्मेन्द्र आदि की चर्चा करते हैं. एक वह दौर था कि देवआनंद को छोड़ कर
सभी कलाकारों ने डाकुओं वाली किरदार निभा ली थी.
लेकिन फिल्म मेरा गाँव मेरा देश में विनोद खन्ना ने जिस जब्बर सिंह की
भूमिका अदा की उसकी तुलना में हजारों गब्बर सिंह पानी भरते दिखाई देते
है. इस फिल्म का एक संवाद है-“ सात साल के बाद चम्बल की गहराइयों से
अन्दर की खबर बहार गयी है, कौन है वह हरामखोर, सामने आ जाए तो चैन की मौत
मरेगा, ढूंढ के निकाला तो कुत्ते की मौत मरेगा.” यह संवात विनोद खन्ना ने
इस तरीके से बोला कि लोगों के जेहन में चम्बल के उन डाकुओं के चित्र उभर
आये जो मान सिंह, लाखन और रूपा के नाम से जाने जाते थे.
विनोद खाना द्वारा बोला गया यह संवाद कोई भी फ़िल्मी समीक्षक उन्हने 100
प्रतिशत दे सकता है. गब्बर सिंह तो एक मदारी की तरह संवाद बोलता था.
चम्बल का असली डाकू तो विनोद खन्ना ही दिखते.
नायक से खलनायक और फिर सह-कलाकार और फिर एक पिता की भूमिका में विनोद
खन्ना बहुत ही अधिक जांचे चाहे उनकी फिल्म मेरे अपने, मेरा गाँव मेरा
देश, आन मिलो सजना, कुर्बानी, अमर अकबर एंथोनी, कच्चे धागे आदि हो. असली
जोड़ी विनोद खन्ना और शत्रुहन सिन्हा, विनोद खन्ना और धर्मेन्द तथा विनोद
खन्ना, विनोद खाना और फिरोज खान और अमिताभ बच्चन की जमती थी.
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