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बच्चे द्वारा मानव श्रंखला भीम बांध में .
निशुजी लोचन/
आज बिहार में जल और हरियाली के लिए मानव श्रंखला (ह्यूमन चेन) कितना सफल और कितना विफल होने की चर्चा राजनैतिक गलियारे में शुरू हो चूकी है. पर आइये इससे जुड़ी एक अहम घटना की चर्चा करना आज हम मुनासीब समझते है.

भीम बांध में गरम पानी के स्व्मिंग पुल.
जनवरी 18 को भागलपुर से स्कूल के बच्चे यैसे एक हरियाली के बीच पिकनिक मनाने मुगेर जिला के भीमवांध अभयारण्य में पहुचा था. बच्चे के साथ शिक्षक और स्कूल मैनेजमेंट के लोगो ने ह्यूमन चेन में खड़े होकर भीमवांध के मनोरम दृश्य देखकर जल और हरियाली के महत्व की एक मेसेज देने का कोशिश किया. बच्चे द्वारा एडवांस में किया गया यह ह्यूमन चेन शायद पुरे बिहार के लिए एक बहुत ही पॉजिटिव मेसेज था.

बच्चे की टोली भीम बांध में .
बिहार में भीमबांध एक ऐसी जगह है जहां जल और हरियाली के बीच जीवन खिलखिला रही है. इलाका जरूर सिस्मोग्राफिक जोन में है, लेकिन 125 हॉट वाटर स्प्रिंग पॉइंट की वजह से इको टूरिज्म के लिए बड़ा ही आकर्षक बना हुआ है. वहां जिस तरह से भागलपुर के स्कूली बच्चों ने ह्यूमन चेन बनाया, वह जल और हरियाली के बीच जीवन को दीर्घायु बनाने में सक्षम दिख रहा था.

भीम बांध के गर्म पानी के तलाव .
कई किलोमीटर तक लंबे दरख्तों के बीच में फैले हुए यह जंगल से अच्छादित पठारी भाग सिस्मोग्राफिक इलाके के हॉट वाटर स्प्रिंग पॉइंट भीम बांध के पास, जहां से खड़गपुर झील और सीताकुंड तक 125 गर्म जल के स्रोत खुद व खुद जमीन के अंदर से बाहर निकालता है.

भीम बांध के रस्ते .
जल और हरियाली के बीच मस्ती भरे जीवन का आनंद यहाँ स्वतस्फूट है. भागलपुर की तकरीबन 100 की संख्या में पहुंची बेटियां ह्यूमन चेन कर दी. खूबसूरत वादियों के बीच उत्साह और उमंग के साथ पर्यावरण के प्रति सजग और आने वाले समय के लिए सचेत मन एक अलग ही अंगड़ाई ले रही थी. एक शिक्षाविद अविभावक श्री अमल राज ने बताया कि कल तो इन्हीं सब के लिए है, इसका जिम्मेदारी तो इन्हें ही लेना होगा.

भीम बांध के इलाके में सदावाहर जंगल.
जिस तरह से भीम बांध के नीचे टेक्टोनिक प्लेट कम गहराई पर है और सल्फर और गंधक की ज्यादा मात्रा होने से जल की उत्पत्ति हो रही है, वहां जल का विशाल भंडार खड़गपुर झील के रूप में तब्दील हो गया है. जनवरी 2018 में News5PM की टीम जब इलाके के अधिकारी एसडीओ संजीव कुमार के साथ गए थे तो हरियाली और जल के बीच जीवन का नजारा आज जैसा नहीं था, पर कार्य प्रगति पर था. माओवादीओ के चुंगल से मुक्त यह वादी के सजाने और सभारने में संजीव का भूमिका काफी अहम् रहा है.

एस डी ओ, संजीव कुमार.
“ नेचुरल रिसोर्स से भरपूर यह क्षेत्र आनेवाले दिन में बिहार के सबसे उम्दा टूरिस्ट स्पॉट के रूप उभर कर सामने आनेवाला है. हमे अब यह तय करना है की अनुमंडल जिले के साथ तालमेल कर कार्य प्रगति कितना आगे निकाल सकते है,” संजीव उम्मीद के साथ कहता है.

पिकनिक माननेवालो की भीड़.
लेकिन अब जो बदलाव दिखा, वह इलाके को चमन बनाने में सक्षम है. जल है तो कल है. जल है तो जीवन है. और उस बीच हरियाली की प्रचुरता हो तो इलाका जन्नत की तरह हो सकता है….जरुरत है हम कितना कारगर है इन सपनो को साकार करने में!
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