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बिहार स्कूल ऑफ योग , मुंगेर .


पुरे दुनिया आज योग दिवस मनाया, मुंगेर रोज मनाता है योग दिवस !

@news5pm

June 21st, 2017

 

निशु जी लोचन ब्यूरो रिपोर्ट के साथ मुंगेर से/

आज योग चर्चा में है और पूरी दुनिया योग दिवस मना रही है. पर ऐसा  योग दिवस मुंगेर में रोज मनाया जाता है.  और साथ ही साथ  पुरे दुनिया में अंग क्षेत्र का मुंगेर का पहचान गौरवमय इतिहास के साथ साथ बिहार स्कूल ऑफ योग के कारण है. आईए जरा गौर करे योग और यह योग नगरी पर जहाँ योग को मानव कल्याण के लिए रोज एक नई ऊंचाई पर उठाने का काम किया जाता है.

बिहार स्कूल ऑफ योग की जो बिहार में मुंगेर के महाभारत कालीन अंग जनपद के राजा कर्ण के चौरा पर स्थापित किया गया है . 1964 में गंगा नदी के किनारे स्वामी सत्यानंद जी ने योग विज्ञान के अध्यन , अध्यापन और अनुसंधान के लिए एक केंद्र शुरुआत की. 1973 में प्रथम विश्व योग सम्मेलन का आयोजन हुआ . पुनः 1993 में द्वितीय विश्व योग सम्मेलन का आयोजन किया गया और हाल ही में 2013 में तृतीय विश्व योग सम्मेलन का आयोजन स्वामी निरंजनानंद जी ने किया.

स्वामी निरंजनानंद जी कीर्तन में विभोर.

यानी प्रत्येक 20 साल क्व अंतराल पर विश्व योग सम्मेलन मुंगेर में हो रहा है.  योग रूपी ज्ञान और विज्ञान के साथ नित नए अनुसंधान से प्रभावित होकर न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्लिथ हॉलोस्की, प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद, तत्कालीन राष्ट्रपति ए पी जे अबुल कलाम, प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी और मोरारजी देसाई भी मुंगेर के योग स्थली पर पहुंचे हैं. वर्तमान समय मे 70 देशों में तकरीबन 20 हज़ार योग शिष्य के साथ 1500 योग शिक्षक योग पर प्रयोग और अनुसंधान का कार्य कर रहे हैं.

विवि अनुदान आयोग ने भी मुंगेर के योग स्कूल को मान्यता दी थी. फ्रांस के शिक्षा पद्धति में बिहार के मुंगेर का योग शिक्षा को शामिल किया गया है. 1983 में जब कर्ण चौरा पर गंगा दर्शन योग भवन का निर्माण हुआ तब से इसकी भव्यता और बढ़ गई है.

स्वामी सत्यानंद ने मुंगेर में गंगा के निकट वैदिक ऋषि परंपरा को पुनस्र्थापित करने एवं गुरुकुल वातावरण में योग के गूढ़ ज्ञान से लोगों लाभांवित करने के उद्देश्य से ही यहां बिहार योग भारती की स्थापना की थी. स्वामी सत्यानंद के इस परंपरा और उनके उद्देश्य की पूर्ति को सतत आगे बढ़ाने व पुष्पित पल्लवित करने का काम आज स्वामी निरंजनानंद सरस्वती कर रहे हैं. यहां न सिर्फ मुंगेर, बिहार और भारत बल्कि विश्व के कोने कोने से लोग आकर वैदिक ऋषि परंपरा के योग से परिचित हो रहे हैं. यहां योग और अध्यात्म की विशेष शिक्षा व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका निभा रही है.

आज भी यूरोपियन देशों के योग अनुयायी पश्चिम की भौतिकवादी संस्कृति से दूर आत्मिक शांति के लिए हर साल अपने गुरु के अष्टकमल और चरणपादुका के दर्शन करने आते हैं.

बिहार स्कूल ऑफ योग में योग अभ्यास का एक दृश्य.

 

इससे भी कुछ ज्यादा जो अवतक यहाँ हुआ वह है बाल योग मित्र मंडल की भी स्थापना. स्थापना इसलिए हुआ ताकि जीवन के शुरुआती चरण में ही बच्चों के व्यक्तित्व को निखारने में वैदिक योग परंपरा के समावेश हो सके. योग दिवस को लेकर शहर के वैसे सभी सरकारी, गैर सरकारी, शैक्षणिक, धार्मिक व आध्यात्मिक संस्थानों व स्थलों पर योगाभ्यास शिविर की तैयारी की गई है. जहां सामूहिक रूप से लोग जमा होते हैं. ताकि इस एक दिन ही सही लोगों को योग के महत्व के बारे में जानकारी हो सके. साथ ही लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से योग से जुड़ाव हो. योग भारतीय वैदिक परंपरा की एक अमूल्य धरोहर है जो वैज्ञानिक व आध्यात्मिक दोनों ही तरह से लोगों के शारीरिक व मानसिक विकारों को दूर कर एक स्वस्थ्य और सद व्यक्तित्व का निर्माण करता है.

जिस तरह पुरे दुनिया में आज योग दिवस का आयोजन कर  योग के महत्व के बारे में लोगो बीच जागरूकता फ़ैलाने का काम किया गया, ठीक वैसे ही मुंगेर पिछले लम्बी समय से योग का अलख पुरे दुनिया में फ़ैलाने का काम कर रहा है. आज जो उत्शाह और उमग दुनिया में योग कर रहे लोगो की बीच देखा गया वैसा माहोल मुंगेर में रोज दिखने को मिलता है. गंगा किनारे वसा यह योग नगरी एक बहूत बडा क्रांति बिल्कुल शांत होकर करता आ रहा है.


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